Inside Story: यूपी की इस सीट पर दुबारा जीत दर्ज नहीं कर पाई कोई पार्टी, BJP के लिए बनी बड़ी चुनौती

जौनपुर जिले में कुल 9 विधानसभा सीट है। इनमें से जौनपुर सदर विधानसभा सीट है जिसकी राजनीतिक इतिहास बेहद ही अलग है कहा जाता है कि इस विधानसभा सीट पर जनता जिसको एक बार विधायक बना देती है, उसको दुबारा इस बार विधानसभा सीट पर जीत नहीं मिलता हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 3, 2022 2:05 PM IST / Updated: Feb 05 2022, 08:17 PM IST

अनुज तिवारी
वाराणसी: यूपी के वाराणसी मंडल में जौनपुर एक खास जिला हैं, ऐतिहासिक मायनों में भी यह जिला काफी पुराना माना जाता है। जानकारों की माने तो फिरोज़ शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में जौनपुर शहर की स्थापना कराई थी। इस शहर के नाम पर भी एक इतिहास है कि मुहम्मद बिन तुगलक का वास्तविक नाम "जौना खां" था । और इसी वजह से इस विधानसभा का नाम जौनपुर रखा गया। 

जौनपुर जिले में कुल 9 विधानसभा सीट है। इनमें से जौनपुर सदर विधानसभा सीट है जिसकी राजनीतिक इतिहास बेहद ही अलग है कहा जाता है कि इस विधानसभा सीट पर जनता जिसको एक बार विधायक बना देती है, उसको दुबारा इस बार विधानसभा सीट पर जीत नहीं मिलता हैं।

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विधानसभा का इतिहास 
जौनपुर विधानसभा सीट से 1977 में कांग्रेस के ओम प्रकाश, 1980 में कमला प्रसाद सिंह और 1985 में लोक दल के चंद्रसेन विधायक निर्वाचित हुए थे। 1989 में निर्दलीय अर्जुन सिंह यादव, 1991 में जनता दल के लालचंद, 1993 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मोहम्मद अरशद खान, 1996 में समाजवादी पार्टी के अफजल अहमद, 2002 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सुरेंद्र प्रताप, 2007 में सपा के जावेद अंसारी और 2012 में कांग्रेस के नदीम जावेद विधायक निर्वाचित हुए थे। 

2002 के बाद 2017 में जीती बीजेपी 
2002 के बाद जौनपुर सदर विधानसभा सीट से 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के गिरीश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी उन्होंने कांग्रेस के विधायक नदीन जावेद को हराकर यह जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस विधानसभा के इतिहासिक राजनीति के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता कभी अपने विधायक पर दोबारा भरोसा नहीं करती 2022 में बीजेपी के सामने दोबारा वापसी की चुनौती है। 

जाति एवं कुल मतदाता 
जौनपुर सदर विधानसभा सीट पर साढ़े तीन लाख के करीब मतदाता है । वहीं अगर इस विधानसभा पर जातीय समीकरण की बात करें तो इस विधानसभा में मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। यही वजह मानी जाती है कि मुस्लिम वोटर अधिक होने के कारण इस विधानसभा पर सपा बसपा और कांग्रेश ने मुस्लिम चेहरे के उम्मीदवार को उतारकर जीत हासिल की है। इस विधानसभा में अगर मुस्लिम वोटरों के बाद की बात की जाए तो इस विधानसभा में वैश्य, ठाकुर , दलित , मतदाताओं की संख्या अधिक हैं। 

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