साल 2021 में कंपनी ने भेजी थी दवा, भारतीय कफ सीरप पीने से 18 बच्चों की हुई मौत, ड्रग्स इंस्पेक्टर ने बताई वजह

यूपी के नोएडा की कंपनी ने साल 2021 में भारतीय कंपनी ने सीरप भेजा था। जिसकी वजह से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई। इस मामले को लेकर ड्रग्स इंस्पेक्टर का कहना है कि ओवरडोज की वजह से उसकी मौत हो गई। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 29, 2022 7:20 AM IST

नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा जिले में बनी कफ सीरप पीने से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत होने पर कंपनी को जिम्मेदार बताया है। इसका उत्पादन नोएडा के सेक्टर-67 में होता है। यहां की मैरियन बायोटेक कंपनी की ओर निर्मित Doc-1 Max टैबलेट और सीरप उज्बेकिस्तान भेजा गया था। बच्चों की मौत का यह मामला उज्बेकिस्तान में घटना होने के बाद सामने आया है। इस मामले की जांच टीम में शामिल नोएडा के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बाबार का कहना है कि इस दवा की देश भर में सप्लाई नहीं है।

सेंट्रल ड्रग्स रेग्युलेट्री को भेजा गया सैंपल
देश भर में सप्लाई नहीं होने के साथ इसको एक्सपोर्ट किया गया था। जिसका एक स्लॉट मई 2021 में उज्बेकिस्तान भेजा गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में सेंट्रल ड्रग्स रेग्युलेट्री टीम से जांच के लिए कहा गया। जिसके बाद असिस्टेंट कमिश्नर ड्रग्स और ड्रग्स इंस्पेक्टर गौतमबुद्ध नगर की एक टीम को भेजा गया है। आगे कहते है कि इस मामले में नोएडा के टीम ने मैरियन बायोटेक की कंपनी से सीरप के सैंपल लिए। जिसको सेंट्रल ड्रग्स रेग्युलेट्री को भेज दिया गया है।

ओवर डोज के चलते हुई बच्चों की मौत
ड्रग्स इंस्पेक्टर का कहना है कि प्राथमिक जांच में सामने आया कि इस सीरप की सप्लाई भारत में नहीं की जाती है। इस स्लॉट को मई 2021 में सिर्फ उज्बेकिस्तान भेजा गया था। बच्चों को मैरियन बायोटेक की ओर से निर्मित Doc-1 Max टैबलेट और सीरप दिया गया था। वहां से इनको लैब भेजा गया है। वहां से रिपोर्ट आने का इंतजार है। रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। तब तक कंपनी पर निगरानी बनी हुई है। उनका कहना है कि वहां इस सीरप का सेवन बच्चों ने बिना डॉक्टर प्रिस्किप्शन के लिया गया था। जिसकी ओवर डोज के चलते बच्चों की मौत हुई।

भारत सरकार ने WHO को सैंपल को लेकर बोली बात
वहीं दूसरी ओर उज्बेकिस्तान के मीडिया रिपोट्स के अनुसार लैब टेस्ट के दौरान इस कफ सीरप में केमिकल इथाइलीन ग्लाइकॉल पाया गया। इसी केमिकल के पाए जाने के बाद हरियाणा की मेडेन फार्मा के खिलाफ जांच की गई। जहां गांबिया में 70 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार बताया गया था। दूसरी ओर जांच के बाद भारत सरकार ने WHO को बताया कि कंपनी से लिए गए सभी सैंपल जांच में सहीं पाए गए हैं।

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