कथित वीडियो वायरल होने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, सीएम ने मामले में डीजीपी ओपी सिंह और मुख्य सचिव गृह को बुलाकर गहरी नाराजगी जताई थी। जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
लखनऊ (Uttar Pradesh). कथित वीडियो वायरल होने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, सीएम ने मामले में डीजीपी ओपी सिंह और मुख्य सचिव गृह को बुलाकर गहरी नाराजगी जताई थी। जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। बता दें, लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी का भी ट्रांसफर कर दिया गया है, इन्हें गाजियाबाद के पुलिस अधीक्षक के रूप में जिम्मेदारी दी गई है। कलानिधि सहित योगी सरकार ने गुरुवार को 13 आईपीएस के ट्रांसफर किए।
क्या था पूरा मामला
कुछ दिन पहले नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण का कथित वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें एसएसपी लेटे हुए लड़की से चैटिंग करते दिखाई दे रहे थे। ऐसा माना जा रहा है कि इस वीडियो को चैट करने वाली लड़की ने खुद ही रिकार्ड किया है और फिर उसे वायरल किया। वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी ने 5 आईपीएस अफसरों पर खुद को बदनाम करने का आरोप लगाया था। उन्होंने डीजीपी और अपर मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा था।
5 पुलिस अफसरों को भी पद से हटाया गया
वीडियो वायरल होने के बाद वैभव कृष्ण ने आईपीएस अफसर अजयपाल शर्मा, सुधीर सिंह, हिमांशु कुमार, राजीव नारायण मिश्रा और गणेश साहा पर ट्रान्सफर-पोस्टिंग का धंधा चलाने और षडयंत्र के तहत मॉर्फ्ड वीडियो बनाने के आरोप लगाए थे। इन सभी को अफसरों को भी इनके पद से हटा दिया गया है। मामले में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। एसआईटी प्रमुख की जिम्मेदारी वरिष्ठ आईपीएस अफसर और डीजी विजलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को दी गई है। इसके साथ ही दो सदस्य आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एमडी जल निगम विकास गोठलवाल को बनाया गया है। योगी सरकार ने पूरे मामले की जांच 15 दिनों के अंदर करने के आदेश दिए हैं। रिपोर्ट आते ही आरोपी आईपीएस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, जिन आईपीएस पर आरोप लगे थे उन्हें सिर्फ इसलिए पद से हटाया गया ताकि जांच प्रभावित न हो। इनकी जगह नए अधिकारियों की तैनाती की गई है। बताया जा रहा है कि पहली बार प्रशासन ने इतनी सख्ती के किसी के खिलाफ एक्शन लिया है।
जांच में सही पाया गया वीडियो
महिला से चैट के वायरल वीडियो की जांच गुजरात के एक फोरेंसिक लैब ने की थी। रिपोर्ट आते ही वैभव कृष्ण को सस्पेंड कर दिया गया। फोरेंसिक जांच में यह सामने आया है कि वीडियो सही है, साथ ही यह भी साबित हो गया कि यह वीडियो मॉर्फ्ड नहीं है। वीडियो की एडिटिंग, कटिंग, मिक्सिंग और मॉर्फिंग नहीं की गई थी।
एसएसपी ने सफाई में कही थी ये बात
वैभव कृष्ण का कहना है, मैंने पत्रकारिता के नाम पर संगठित गिरोह चलाने वाले कथित पत्रकारों उदित गोयल, सुशील पंडित व चंदन राय को जेल भेजा था, इसी मामले में लखनऊ के नितीश शुक्ला के खिलाफ भी कार्रवाई हुई थी। चंदन की आईपीएस अजयपाल शर्मा, आईपीएस सुधीर सिंह, आईपीएस हिमांशु कुमार, आईपीएस राजीव नारायण मिश्रा और आईपीएस गणेश साहा के साथ ट्रांसफर पोस्टिग को लेकर की गई बातचीत व वाट्सएप चैटिंग सामने आई थी। उसी समय से मेरे खिलाफ लगातार साजिश हो रही है।
उन्होंने कहा था, निजी तौर पर बदनाम करने के लिए फेक वीडियो वायरल किए जा रहे। मेरे नाम से 3 फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं। उसमें पीछे से किसी लड़की की आवाज सुनाई दे रही। यह साजिश के तहत मुझे बदनाम करने के लिए वायरल किए गए। पुलिस महा निरीक्षक मेरठ से अनुरोध कर इसकी विवेचना किसी अन्य जिले से निष्पक्ष रूप से कराए जाने का अनुरोध किया जाएगा। ताकि इन अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
एसएसपी ने ये भी बताया था एक कारण
वैभव कृष्ण ने कहा था, पिछले एक साल में कई संगठित अपराध, अपराधियों और कई भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा किया गया। कई सफेदपोश दलाली एवं एक्सटॉर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई। ऐसा लग रहा है कि इन सब कारणों से तिल मिलाकर व्यक्तिगत छवि खराब करने के लिए इस तरीके की हरकत की गई।