नई शिक्षा नीति के लागू होने से छात्रों में खुशी के साथ-साथ असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। क्योंकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल परीक्षा लेगी। बाद की सारी बातों का निर्णय विश्वविद्यालय अपने स्तर से करेगा।
अनुज तिवारी
वाराणसी: देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए नई शिक्षा नीति के तहत सभी केंद्रीय विद्यालय 2022 में एक परीक्षा कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट की घोषणा की जा चुकी है। वहीं इस नीति के लागू होने से छात्रों में खुशी तो है लेकिन दूसरी तरफ असमंजस भी बना हुआ है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल परीक्षा लेगी। बाद की सारी बातों का निर्णय विश्वविद्यालय अपने स्तर से करेगा। अब छात्रों के सामने एक अलग ही असमंजस पैदा हो गया कि विश्वविद्यालय के अलग-अलग नियम छात्रों को तनाव में डाले हुए हैं। छात्रों के अंदर जिज्ञासा भी है कि आखिर सीईयूटी परीक्षा का मतलब क्या है?
एशियानेट न्यूज हिंदी की टीम ने प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय के वेबसाइट और विश्वविद्यालय के नियमों को जानादेश की राजधानी दिल्ली में स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय हो या इलाहाबाद विश्वविद्यालय या फिर सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय सहित अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी सभी में सीयूईटी परीक्षा के तहत एडमिशन होगा। लेकिन इन विश्वविद्यालय के नियमों को देखा जाए तो सभी ने अपने अलग अलग क्राइटेरिया तय कर रखा है। किसी भी विश्वविद्यालय के पोर्टल पर सही जानकारी नहीं मिलने से सिलेबस सेलेक्ट करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तो चलिए जानते है कि आखिर क्या है प्रमुख तीन सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वेबसाइट की स्थित।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
अगर कोई छात्र बीएचयू से बीए करना चाहता है तो उसे एक भाषा की परीक्षा और जनरल टेस्ट देना होगा। अगर वहीं छात्र इलाहाबाद से बीए करना चाहता है तो उसे अपने डोमेन विषय को चुन कर टेस्ट देना होगा। हालांकि, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पोर्टल और एनटीए के वेबसाइट पर परीक्षा पैटर्न को लेकर बहुत व्यापक अंतर देखने को मिल रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के क्राइटेरिया के बारे में एनटीए के वेबसाइट पर भी आधी अधूरी जानकारी दी गयी है।
दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को केवल उसी विषय से परीक्षा देने की अनुमति दी है जिसमें उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की है। अब ऐसे में किसी पीसीएम या पीसीबी बैकग्राउंड के बच्चे को बीए करना है तो उसे फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स या बायो का देना होगा। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि ऐसा नियम देश के किसी और विश्वविद्यालय के लिए नहीं है। वहीं, अगर अब कोई पीसीएम या पीसीबी बैकग्राउंड का छात्र अलग-अलग जगह से बीए के लिए अप्लाई करेगा तो उसे दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स या बायो तो बीएचयू के लिए भाषा और जनरल टेस्ट, जबकि इलाहाबाद के लिए उनके हिसाब से हिस्ट्री, पॉलिटी, जियोग्राफी इत्यादि की परीक्षा देनी होगी। तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि अब एक छात्र कितने विषय को पढ़ेगा।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की तो एक मामला बीएचयू बीएससी एजी से संबंधित है, जहां बीएससी एजी यानी बीएससी एग्रीकल्चर में फिजिक्स को कंपलसरी कर दिया गया है। जो बच्चे इंटर में एजी की पढ़ाई करते हैं, उनके लिए केवल एलिमेंट्री फिजिक्स होती है, जबकि यहां एडवांस फिजिक्स पूछा जाएगा। ऐसे में कोई भी छात्र एडवांस फिजिक्स के बारे में कैसे बता पाएगा। डॉ. यशवंत, निदेशक, कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू ने बताया कि सीयूईटी परीक्षा होना छात्रों के हित में है। इसमें समझने में कोई परेशानी नहीं है। सीईयूटी की परीक्षा का जो पैटर्न बनाया गया है वो बहुत सरल है। इसमें कहीं से कोई भी असमंजस वाली स्थिति नहीं है।
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