केवी कॉरिडोर को लेकर बंट गए लोग, किसी ने किया स्वागत तो किसी ने बताया चुनावी हथकंडा

Published : Dec 15, 2021, 04:03 PM IST
केवी कॉरिडोर को लेकर बंट गए लोग, किसी ने किया स्वागत तो किसी ने बताया चुनावी हथकंडा

सार

वाराणसी में नवनिर्मित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को जहां कुछ लोग भारत की आध्यात्मिक चेतना के पुनरुत्थान के प्रतीक के रूप में देखे रहे हैं, वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए इस परियोजना का इस्तेमाल किया जा रहा है।  

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना श्री काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Corridor) के पहले चरण को सोमवार को लोगों को समर्पित किया। यह परियोजना (Project) श्रद्धालुओं को कई सुविधाएं प्रदान करने के अलावा मंदिर परिसर को गंगा नदी (Ganga River) से जोड़ती है। उद्घाटन समारोह (Inauguration Ceremony) के दौरान मोदी ने काशी को अविनाशी बताते हुए कहा था कि एक नया इतिहास (New history) बनाया जा रहा है और हम भाग्यशाली हैं कि इस इतिहास के साक्षी बन रहे हैं। वाराणसी, 2014 से मोदी का संसदीय क्षेत्र (Parliamentary Constituency) है और शहर की अपनी दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन उन्होंने पहली बार काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव मंदिर में दर्शन किया और बड़ी संख्या में साधु-संतों की उपस्थिति में औपचारिक रूप से कॉरिडोर का उद्घाटन किया। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Chief Minister Yogi Adityanath) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों के कई अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ क्रूज़ पर बैठक में भाग लिया।

बनारस देश को दे रहा है एक नई दिशा 
अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने आम लोगों से संपर्क करने के अलावा कई कार्यक्रमों में भाग लिया। वाराणसी के स्वरवेद महामंदिर में सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वर्षगांठ समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, पुरातन को सहेजकर रखने और नयी चीजों को स्वीकारने से बनारस (Banaras) देश को एक नयी दिशा दे रहा है। कई चुनाव विश्लेषकों, उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल और लोगों के एक वर्ग ने कहा कि अगले साल की शुरुआत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसके मद्देनजर इन कार्यक्रमों में एक सूक्ष्म राजनीतिक संदेश छिपा है, जबकि नयी कॉरिडोर परियोजना का साधु-संतों और बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों एवं अन्य राज्यों से आए लोगों ने स्वागत किया गया है, जिन्होंने इसके उद्घाटन की पूर्व संध्या पर तीर्थस्थल का दौरा किया और विशाल परियोजना को अभूतपूर्व पैमाने का किया गया काम करार दिया। 

केवी कॉरिडोर का लोकार्पण चुनावी हथकंडा 
परियोजना के तहत संकरी गलियों को हटाया गया हालांकि कई अन्य लोग इसके बारे में उत्साहित नहीं हैं। जानकारी के अनुसार, मणिकर्णिका घाट ( Manikarnika Ghat) की ओर जाने वाली गली में रहने वाले 72 वर्षीय लालजी यादव उद्घाटन समारोह से बहुत प्रभावित नहीं थे और उन्होंने आरोप लगाया कि यह आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) में लाभ उठाने का तरीका है। साथ ही वहां के एक अन्य निवासी प्रभात सिंह ने दावा किया कि उनकी संपत्ति उन सैकड़ों इमारतों में से एक थी, जिसे गलियारे के लिए रास्ता बनाने के लिए तोड़ दिया गया और उन्होंने काशी भव्य कार्यक्रम को सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा 2022 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए एक हथकंडा करार दिया। विशाल कॉरिडोर कार्यक्रम पर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि जब अंत निकट होता है तो लोग बनारस में रहते हैं। अखिलेश यादव की इस टिप्पणी की भाजपा ने निंदा की और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की तुलना मुगल बादशाह औरंगजेब से करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी निष्ठुर है। यादव के इस बयान से उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा बढ़ने की उम्मीद है। 

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