बनास डेयरी के शिलान्यास के बाद वाराणसी और इसके आसपास के 6 जिलों के पशुपालकों को अब घर बैठे रोजगार मिलेगा। रोजाना 5 लाख लीटर दुग्ध उत्पाद तैयार करने वाली यह डेयरी 30 एकड़ जमीन में 457 करोड़ रुपए की लागत से लगभग डेढ़ साल में बनकर तैयार होगी। डेयरी के शिलान्यास के साथ ही प्रधानमंत्री बनास डेयरी के 1,75,000 दुग्ध उत्पादकों के खाते में 2020-21 के लाभांश के 35.19 करोड़ रुपए डिजिटल सिस्टम से ट्रांसफर करेंगे।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर और लखनऊ जिले के बाद अब बनारस में भी बनास डेयरी (Banas Dairy) खुलेगी। पिंडरा के करखियाव में बनारसकांठा जिला दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड की बनास डेयरी का शिलान्यास गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) करेंगे। डेयरी के खुलने के बाद बनारस सहित सात जिलों के 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। 30 एकड़ में 457 करोड़ रुपये की लागत से डेढ़ साल में तैयार होने वाली डेयरी में रोजाना पांच लाख लीटर दुग्ध उत्पाद तैयार किया जाएगा। शिलान्यास के साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा डेयरी के एक लाख 75 हजार दुग्ध उत्पादकों के खाते में 2020-21 के लाभांश का 35.19 करोड़ रुपये डिजिटल माध्यम से ट्रांसफर किया जाएगा।
1000 गावों को मिलेगा लाभ
बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर भाई चौधरी के अनुसार, बनास डेयरी से वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और आजमगढ़ जिले के 1000 गांवों के किसानों को लाभ होगा। इन किसानों को प्रतिमाह उनके दूध के बदले आठ से दस हजार तक का मूल्य मिलेगा। इस प्रोजेक्ट में 750 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। हम पूर्वांचल के सात जिलों के 10 हजार लोगों को गांवों में ही रोजगार उपलब्ध कराने का काम करेंगे।
10 लाख लीटर दुग्ध उत्पादों के उत्पादन का लक्ष्य
चेयरमैन ने बताया कि प्लांट में प्रतिदिन 50 हजार लीटर आइसक्रीम, 20 टन पनीर, 75 हजार लीटर बटर मिल्क, 50 टन दही, 15 हजार लीटर लस्सी और 10 हजार किलोग्राम अमूल मिठाई का उत्पादन होगा। प्लांट की एक बेकरी यूनिट भी होगी। इसमें महिलाओं और बच्चों के लिए पूरक पोषण आहार उत्पादन के लिए टेक होम राशन संयंत्र भी शामिल होगा। हमारा लक्ष्य है कि हम पांच लाख लीटर दुग्ध उत्पाद की अपनी क्षमता को 10 लाख लीटर तक ले जाएं।
पशुपालकों को दी गई थीं 100 देसी गायें
शंकरभाई ने बताया कि जुलाई में हमने डेयरी फार्मिंग के लिए वाराणसी के किसान परिवारों को सर्वेश्रेष्ठ गोवंश की 100 देसी गायें दी थीं। इन किसानों को गोपालन और डेयरी फार्म प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया था। वर्तमान में वाराणसी के 111 स्थानों से रोजाना 25 हजार लीटर से अधिक दूध इकट्ठा किया जा रहा है। बनास डेयरी रोजाना 68 लाख लीटर दूध एकत्रित करती है जो एशिया के देशों में सर्वाधिक है। इसके साथ ही यह दूध अमूल की कुल दूध प्राप्ति में एक तिहाई योगदान है।