
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में बीते दस जून को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा और उपद्रव करने वाले आरोपियों को बड़ा झटका लगा है क्योंकि अपर सत्र न्यायाधीश मृदुल कुमार मिश्र ने हिंसा के पांचों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अखिलेश सिंह बिसेन और आरोपियों की जमानत अर्जी कर उनके अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। साथ ही पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजातों का अवलोकन करने के बाद जमानत याचिका खर्जी कर दिया।
संपत्तियों को किया था आगजनी के हवाले
कोर्ट ने हिंसा के आरोपी पांच आरोपियों की जमानत खारिज की है। उनमें से मोहम्मद रिजवान सईद, जुबेर अली, फजल अली, तौफीक व मोहम्मद कादिर की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी है। कोर्ट का कहना है कि जुमे की नमाज के बाद अपराधियों ने राहगीरों और पुलिस बल पर पथराव करने गोलियों और बमों से हमला किया है। जिसे अतिरिक्त बल का प्रयोग कर नियंत्रित किया गया। इस उपद्रव व बवाल में तमाम लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इतना ही नहीं संपत्तियों को आग के हवाले कर नष्ट कर दिया गया। इस तरह की स्थिति में जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकर करने का कोई आधार ही नहीं बनता।
अब तक 105 आरोपी भेजे गए हैं जेल
दरअसल उप निरीक्षक दीन दयाल सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 10 जून 2022 को हजारों की भीड़ करीब दो बजे अटाला मोहल्ले की तरफ से आई और पथराव करने लगी। इतना ही नहीं ऐसे पथराव घरों की छतों से भी हो रहे थे। जिसकी वजह से राहगीरों समेत पुलिस को भी तमाम चोटे आई है। गोली बम चलाने की भी सूचना इस दिन मिली थी। इतना ही नहीं अचानक से आई भीड़ ने मोबाइल छीनने की कोशिश की, शस्त्र लूटने का प्रयास किया और गाड़ियों में आग लगा दी। जिसके बाद अतिरिक्त बल का प्रयोग करते हुए भीड़ को नियंत्रित किया गया। इस मामले में अब तक 105 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
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