प्रयागराज जिला कोर्ट ने 30 साल पहले हत्या के मामले में पांच आरोपियों को सजा सुनाई है। जिसमें 10 साल की सजा के साथ-साथ 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। वहीं इतने लंबे समय से चल रही सुनवाई के ट्रायल के दौरान ही पांच आरोपियों की मौत हो गई थी।
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में तीस साल बाद आरोपियों को सजा सुनाई गई है। 30 साल तक हत्या का मुकदमा चलता रहा और पीड़ित को इंसाफ मिला। 30 साल पहले लाठी डंडे से पीट-पीटकर हत्या करने के आरोपियों को जिला कोर्ट प्रयागराज ने 10 साल की सजा सुनाई है। इतना ही नहीं 10-10 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। हत्या का मामले में इतनी लंबी चली सुनवाई के दौरान ही मामले के पांच आरोपियों की मौत हो गई। वहीं बाकि बचे पांच आरोपियों को कोर्ट ने सजा सुनाई है।
आरोपियों को मिली 30 साल बाद सजा
हत्या के मुकदमे के ट्रायल के दौरान ही भागेलु, किशोरी, होरीलाल, बेचन और बिंदेश्वरी की मौत हो गई थी। बाकि बचे सूबेदार, संगम, लालचंद, बाबू और मित्तल को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। जिला कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपियों के विरुद्ध अभियोजन पक्ष मामला साबित करने में सफल रहा है। इसलिए आरोपी दंडित किए जाने के योग्य हैं। वहीं अपर सत्र न्यायाधीश रामकिशोर शुक्ल ने अपर शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गिरीश तिवारी एवं सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी हरि नारायण शुक्ल और आरोपितों के अधिवक्ता के विस्तृत तर्कों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद ही फैसला सुनाया गया है।
साल 1992 से चल रहा था मुकदमा
दरअसल यह पूरा मामला उतरांव थाना क्षेत्र का था। जहां 30 साल पहले उतरांव थाने में ग्राम दादूपुर निवासी मोतीलाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उस रिपोर्ट के मुताबिक 15 अगस्त 1992 को उसके पिता रघुवीर खेत में घास काट रहे थे। इसी दौरान आरोपित लाठी डंडा लेकर आए और मारने पीटने लगे। रघुवीर को बचाने के लिए भाई जीत लाल, चाचा महावीर, चचेरा भाई हरिशंकर व कल्लू राम ने बीच बचाव किया लेकिन उसको नहीं बचा सके। आरोपियों ने रघुवीर को इतना मारा कि बहुत ही घायल हो गया था। उसके बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसके के बाद रघुवीर के बेटे ने हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 30 साल बाद बेटे को इंसाफ मिल गया।
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