उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में खाद की किल्लत है। ऐसे में विपक्ष लगातार हमलावर है। कांग्रेस (Congress) की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi wadra) इस समस्या को लगातार उठा रही हैं। वे शुक्रवार सुबह ट्रेन से लखनऊ से ललितपुर (Lalitpur) पहुंचीं। यहां प्रियंका ने उन पीड़ित किसानों के परिवारों से मुलाकात की, जिनकी खाद ना मिलने की वजह से मौत हो गई थी। इससे पहले प्रियंका ने ललितपुर जाते वक्त लखनऊ (Lucknow) के चारबाग रेलवे स्टेशन पर कुली भाइयों से मुलाकात की।
ललितपुर। कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka gandhi) शुक्रवार सुबह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के ललितपुर (Lalitpur) जिले पहुंचीं। यहां खाद ना मिलने से हफ्तेभर में चार किसानों की जान गई है। बताते हैं कि दो किसान ने तो लाइन में खड़े-खड़े दम तोड़ दिया था। प्रियंका सबसे पहले पंडयाना गांव में किसान बल्लू पाल के परिवार से मिलीं। यहां तीन अन्य किसानों के परिवार भी थे, जिन्होंने खाद के लिए जान गंवाई थी। प्रियंका ने एक कमरे में बैठकर पीड़ित परिजन का उनका दुख-दर्द जाना और ढांढस बंधाया। प्रियंका का कहना था कि वे पीड़ित परिवार की हरसंभव मदद करेंगी।
सविता ने बताया कि उसके परिवार पर 4 लाख का कर्ज है। इसी बीच, प्रियंका को अपनी पीड़ा बताते वक्त मृतक किसान भोगीराम पाल की बेटी सविता बेहोश हो गई। यह देखकर प्रियंका ने उसे अपने हाथों से गिलास से पानी पिलाया और उसके सिर पर हाथ फेरा। उन्होंने बिटिया को हौसला बनाए रखने को कहा। इसके बाद प्रियंका से सभी किसान परिवारों ने आर्थिक संकट की बात कही। इस पर उन्होंने सभी को 5-5 लाख की आर्थिक मदद देने का भरोसा दिया। कहा- कांग्रेस पार्टी इन किसानों का कर्ज चुकाएगी। 5 लाख की मदद करेगी। बच्चों की पढ़ाई की जिम्मा भी कांग्रेस लेगी। बता दें कि इससे पहले लखीमपुर हिंसा में पीड़ित 4 किसानों के परिवारों को छत्तीसगढ़ और पंजाब सरकार ने 50-50 लाख की मदद दी थी।
महिलाओं ने प्रियंका का तिलक लगाकर स्वागत किया
प्रियंका यहां बल्लू पाल के घर करीब एक घंटे रहीं। इसके बाद वह कार से दतिया (मध्य प्रदेश) के लिए निकल गईं। यहां वह पीतांबरा पीठ मंदिर में दर्शन करेंगी। प्रियंका लखनऊ से ललितपुर तक ट्रेन के जरिए आई थीं। यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य और बिहार प्रभारी बृजलाल खाबरी, बुंदेलखंड प्रभारी प्रदीप नरवाल ने प्रियंका गांधी का स्वागत किया। महिलाओं ने उनका तिलक लगाकर स्वागत किया। उनके साथ सेल्फी भी ली। प्रियंका स्टेशन से सीधे कार से PWD गेस्ट हाउस पहुंचीं थीं। यहां से फिर वे किसानों के मिलने उनके गांव आईं।
सरकार की नीतियों से किसानों की जान गई: प्रियंका
प्रियंका का कहना था कि सभी किसानों ने खेती के लिए भारी-भरकम कर्ज लिया था। सरकार की नीतियों के चलते कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे। खाद न मिलना, मुआवजा न मिलना और फसल बर्बादी से किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही थीं। ललितपुर समेत पूरे बुंदेलखंड में खाद की भयंकर किल्लत है। कई किसानों की मौत हो चुकी है।
हफ्तेभर में इन चार किसानों की मौत हो गई..
बता दें कि ललितपुर में अब तक 4 किसानों की मौत हो गई है। ये सभी खाद ना मिलने की वजह से परेशान चल रहे थे। दो किसान बीमार थे और लाइन में लगने से तबीयत बिगड़ गई, जिससे उनकी मौत हो गई। इनमें 22 अक्टूबर को थाना जाखलौन के नयागांव निवासी किसान भोगी पाल (55 साल) की मौत हो गई थी। ये किसान खाद के लिए दो दिन से लाइन में लगा था। 25 अक्टूबर को कोतवाली सदर क्षेत्र के मैलवारा खुर्द निवासी सोनी अहिरवार (40 साल) ने खाद ना मिलने की वजह से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। 26 अक्टूबर को थाना नाराहट के बनयाना गांव में किसान महेश बुनकर (30 साल के ) की मौत हो गई थी। इसके अलावा, 27 अक्टूबर को बल्लू पाल ने फांसी लगाकर सुसाइड कर ली थी।
लखनऊ स्टेशन पर कुलियों से मिलीं प्रियंका
ट्रेन से ललितपुर रवाना होते वक्त गुरुवार रात लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रियंका ने कुलियों से मुलाकात की। यहां कुलियों ने उन्हें अपनी जीविका से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया। कोरोनाकाल में सरकारी उपेक्षा का भी जिक्र किया।
सरकार की नीति और नीयत में किसान विरोधी रवैया...
प्रियंका ने गुरुवार को ट्वीट भी किया और ललितपुर की घटना का मसला उठाया था। उन्होंने कहा था कि किसान मेहनत कर फसल तैयार करें तो उन्हें उसका दाम नहीं मिल रहा है। किसान फसल उगाने की तैयारी करे तो खाद नहीं है। खाद न मिलने के कारण बुंदेलखंड के दो किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन किसान विरोधी भाजपा सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। इनकी नीयत और नीति दोनों में किसान विरोधी रवैया है। बता दें कि बीती 23 अक्टूबर को बाराबंकी से शुरू हुई कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्रा भी बुंदेलखंड पहुंच रही है। इससे पहले प्रियंका लखीमपुर की घटना के बाद किसानों के समर्थन में वहां पहुंची थीं।