अब शिवपाल यादव की पार्टी 'स्टूल'' सिंबल से इलेक्शन लड़ेगी। 'चाबी' प्रसपा का स्थायी चुनाव चिह्न नहीं था। 'चाबी' हरियाणा जननायक जनता दल को आवंटित होने के बाद प्रसपा से टिकट चाहने वालों में से भी ज्यादातर 'साइकिल' चुनाव चिह्न से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं।
लखनऊ: शिवपाल सिंह यादव से उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) (PSP, L) की 'चाबी' फिसल गई है। प्रसपा अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) 'चाबी' चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ पाएगी। शिवपाल (Shivpal singh Yadav) की चाभी को चुनाव आयोग (Election Commission) ने हरियाणा जननायक जनता दल (JJD) को आवंटित कर दिया है। जिसके बाद 15 दिन पहले शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की तरफ से दूसरे चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन किया गया था। वहीं, अब चुनाव आयोग ने प्रसपा को नया चुनाव चिन्ह अलॉट कर दिया है। अब शिवपाल यादव की पार्टी 'स्टूल' (Stool) सिंबल से इलेक्शन लड़ेगी। 'चाबी' प्रसपा का स्थायी चुनाव चिह्न नहीं था। 'चाबी' हरियाणा जननायक जनता दल को आवंटित होने के बाद प्रसपा से टिकट चाहने वालों में से भी ज्यादातर 'साइकिल' (Cycle) चुनाव चिह्न से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं।
अखिलेश को लेकर मेरे अंदर कोई मलाल नहीं: शिवपाल
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि हमने पुरानी बातों को खत्म कर दिया है। हमने समाजवादी पार्टी में 40-45 साल काम किया है। बहुत से आंदोलन हुए हैं। पार्टी को आगे बढ़ाना है, तो त्याग और संघर्ष करने पड़ता है। मेरे अंदर कोई मलाल नहीं है। बस सिर्फ हम अपनी बात रख देंगे। सलाह दे देंगे, फैसला अखिलेश यादव जो भी लेंगे हम मानने के लिए तैयार हैं।
बता दे कि पिछले सप्ताह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व प्रसपा के प्रमुख शिवपाल यादव एक हो गए। अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल के घर पहुंचकर पहले तो गिले-शिकवे दूर किए फिर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर सहमति जता दी। चाचा शिवपाल से मिलने उनके घर पहुंचे अखिलेश ने उनके पैर छुए तो भावुक शिवपाल ने उन्हें गले लगा लिया। इस मुलाकात के दौरान शिवपाल परिवार के साथ मौजूद थे। दोनों के बीच यह मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली। इस दौरान दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात फाइनल हो गई।
चाचा-भतीजे के बीच हो गया था मनमुटाव
साल 2017 के चुनाव से पहले अखिलेश व शिवपाल के बीच मनमुटाव हो गया था। जिसके बाद दोनों में दूरियां बढ़ती चली गईं। इसके बाद शिवपाल ने अक्टूबर 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई थी। शिवपाल ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 47 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस कारण सपा को कई सीटों पर नुकसान भी उठाना पड़ा था। इस लड़ाई में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव हार गए थे। हालांकि लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी को महज 0.3 फीसदी ही वोट ही मिले, लेकिन ज्यादातर जगहों पर उसने सपा को नुकसान पहुंचाया था। पिछले अनुभव को देखते हुए अखिलेश ने उनके साथ गठबंधन का निर्णय लिया है।