
कानपुर: उलमा उन शादियों का बहिष्कार करेगी जहां पर बैंड-बाजा, डीजे और आतिशबाजी होगी। ऐसी शादियों में निकाह नहीं पढ़ाया जाएगा। यह निर्णय उलमा-ए-अहल-ए-सुन्नत मशावरती बोर्ड के द्वारा लिया गया है। इस तरह के निकाह को पढ़ाने वाले काजियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी।
बोर्ड ने मुफ्तियों और पैनल का किया गठन
बोर्ड ने उलमा से कहा कि मोहर्रम का माह समाप्त हो चुका है। इसके बाद अब अरबी माह सफर चल रहा है। इसके बाद अगले माह ही शादियों का सीजन शुरू होगा। ऐसे में लोगों को अभी से समझाने का सिलसिला शुरू करना होगा। लोगों को राय देनी होगी कि वह शादियों में फिजूलखर्जी, दहेज, बैंड-बाजा को लेकर उलमा बेहद ही संजीदा है। इन बुराइयों को हमारे बीच से दूर करने के लिए ही उलमा-ए-अहल-ए-सुन्नत मशावरती बोर्ड ने मुफ्तियों और पैनल का गठन भी कर दिया है। इस पैनल में शहरकाजी मौलाना मुश्ताक अहमद, मुशाहिदी, हाजी मोहम्मद, कारी हसीब अख्तर शाहिदी समेत कई अन्य लोगों को शामिल किया गया है।
तय होगी जवाबदेही, उलमा से मांगा जाएगा स्पष्टीकरण
बोर्ड के संरक्षक शहरकाजी मौलाना कमर शाहजहांपुरी के प्रतिनिधि सैय्यद अतहर कादरी के द्वारा लोगों को अवगत करवाया गया कि मुस्लिम समाज की शादियों में फिजूलखर्ची बढ़ रही है। शादियों में बैंड-बाजा, दहेज की मांग भी मांग भी इन फिजूलखर्चियों की वजह से बढ़ती ही जा रही है। इसे रोकने के लिए पूर्व में भी कई बार प्रयास किए जा चुके हैं। हालांकि अब इसको लेकर मशावरती बोर्ड भी आगे आया है। इसमें शहरकाजियों, मुफ्तियों, उलमा का पैनल गठित किया गया है। इसी के साथ निर्णय लिया गया है कि अगर आगे काजी ऐसी शादियों में निकाह पढ़ाते हैं जहां दहेज की मांग, बैंड-बाजा और डीजे हुआ तो उसकी जवाबदेही तय की जाएगी। ऐसी शादियों में शिरकत करने वाले उलमा से स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा। वहीं अगर किसी लड़की का पिता मजबूर है और उससे दहेज की मांग की जा रही है तो इसकी शिकायत वह शहरकाजी और मशावरती बोर्ड से करें।
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