राम मंदिर भूमि पूजन आज, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का आपत्तिजनक ट्वीट, लिखी धमकी भरी ये बातें

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुबह 5.39 बजे ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है ''बाबरी मस्जिद थी और रहेगी. इशांअल्लाह.''।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2020 2:12 AM IST / Updated: Aug 05 2020, 09:24 AM IST

अयोध्या (Uttar Pradesh) । आज राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि का पूजन करेंगे, जिसके बाद मंदिर निर्माण शुरू होगा। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से आपत्तिजनक ट्टीट किया है। धमकी गेते हुए कहा है कि 'बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन पर पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है। दुखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है। 

सुबह पांच बजे किया ये ट्टीट
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुबह 5.39 बजे ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है ''बाबरी मस्जिद थी और रहेगी. इशांअल्लाह.''।

दोबारा मस्जिद में तब्दील हुई हागिया सोफिया
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ट्टीट में एक लेटर भी है, जिसके उर्दू में लिखा गया है कि 1500 साल प्राचीन विरासत समेटे यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल हागिया सोफिया म्यूजियम को लेकर बड़ी तब्दीली हुई। पिछले महीने जुलाई में टर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यब एर्दोगन ने इस ऐतिहासिक म्यूजियम को दोबारा मस्जिद में बदलने का आदेश दिया। राष्ट्रपति एर्दोगन ने 1934 के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत 1434 में इस्तांबुल पर कब्जे के बाद उस्मानी सल्तनत द्वारा मस्जिद में तब्दील हुई हागिया सोफिया को एक म्यूजियम बना दिया गया था। इस ऐतिहासिक इमारत ने कई बार अपनी रंगतों को भी बदलते देखा है। जब ये इमारत बनाई गई तब ये एक भव्य चर्च हुआ करती थी और शताब्दियों तक ये चर्च ही रही, फिर इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया।

छठी सदी में बना था चर्च
हागिया सोफिया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है। इसे छठी सदी में बाइजेंटाइन सम्राट जस्टिनियन के हुक्म से बनाया गया था। उस समय इस शहर को कुस्तुनतुनिया या कॉन्सटेनटिनोपोल के नाम से जाना जाता था। 537 ईस्वी में निर्माण पूर्ण होने के बाद इस इमारत को चर्च बनाया गया।

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