सोशल मीडिया पर एक पुलिसकर्मी की फोटो वायरल हो रही है, जिसमें वह गरीब और बेसहारा बच्चों को पढ़ाते दिख रहे हैं। रंजीत यादव नाम के ये पुलिसकर्मी अयोध्या के डीआईजी ऑफिस में बतौर सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात हैं।
अयोध्या। यह एक हैरान करने वाला सीन है, जिसमें वर्दी पहने एक पुलिसकर्मी पेड़े के नीचे बैठे बच्चों के एक समूह को बेसिक हिंदी, अंग्रेजी और गणित पढ़ा रहे हैं। इन पुलिसकर्मी का नाम है रंजीत यादव। वे 2015 बैच के सब-इंस्पेक्टर हैं और अयोध्या रेंज के डीआईजी के दफ्तर में तैनात हैं। हालांकि, ऑफ ड्यूटी यानी ड्यूटी खत्म होने के बाद उन्हें वर्दी में शिक्षक यानी वर्दी वाले गुरु जी के तौर पर जाना जाता है।
दिलचस्प यह है कि वे जिन छात्रों को पढ़ाते हैं, उनमें ज्यादातर भिखारियों के बच्चे हैं, जो इस पवित्र शहर में सरयू के घाटों पर मंदिरों और मठों के बीच की संकरी गलियों में घूमते हैं। वहीं, इनमें कुछ अनाथ हैं। जैसे 12 साल की महक, अपने दूर के रिश्तेदारों के साथ रहती है। बच्चों का यह अनोखा विद्यालय 'अपना स्कूल' नाम से लोगों के बीच मशहूर है। महक का कहना है कि सर बहुत अच्छा पढ़ाते हैं। शुरुआत में मैं सर से डरती थी। मुझे इस बात से डर लगता था कि मुझे पीटा जाएगा। लेकिन जब उनकी क्लास में पढने लगी, तो धीरे-धीरे मजा आने लगा।
खुर्जा कुंड इलाके में रहता था भिखारियों का परिवार
महक ने बताया कि उसने हिंदी और अंग्रेजी में अक्षरों तथा गणित में संख्याओं की पहचान करना शुरू कर दिया है और गिनती भी उसे आती है। दरअसल, सब इंस्पेक्टर रंजीत यादव का यह अनोखा मिशन तब शुरू हुआ, जब उन्हें पहले नया घाट पुलिस चौकी में तैनात किया गया था। उन्होंने वहां देखा कि कई बच्चे अपने माता-पिता के साथ सरयू नदी के किनारे भीख मांगने आते हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे खुर्जा कुंड इलाके में रहते थे। ज्यादातर भिखारियों का परिवार यहीं रहता था।
शुरू में कई बच्चों के माता-पिता पढ़ाई को लेकर उत्साहित नहीं थे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रंजीत यादव ने इन बच्चों से मिलने के बाद इनके लिए कुछ करने का फैसला लिया। तब उन्होंने इन बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। रंजीत के मुताबिक, मैंने इन बच्चों के माता-पिता को एकत्रित किया और उनसे पूछा कि अगर मैं कक्षाएं शुरू करता हूं, तो क्या वे अपने बच्चों को भेजेंगे। शुरू में बहुत से बच्चों के माता-पिता उत्साहित नहीं थे, मगर बाद में मान गए। इसके बाद सितंबर 2021 से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, जो अब तक जारी है। क्लास रोज सुबह सात बजे से 9 बजे तक लगती है और इस बीच करीब 60 से अधिक बच्चे मौजूद रहते हैं। यह क्लास खुर्जा कुंड के पास स्थित एक विशाल पेड़ के नीचे लगाई जाती है। इनमें सभी धर्म के बच्चे, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं, पढ़ने के लिए आते हैं।
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