चुनाव में संसाधनों की कमी से हुई सपा की हार, मुलायम सिंह यादव ने इस प्लान के सहारे पार्टी को दी थी नई संजीवनी

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का इलाज लखनऊ के मेदांता अस्पताल में जारी है। नेताजी ने कई बार विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस के बल पर समाजवादी पार्टी को नई संजीवनी दी है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 7, 2022 7:05 AM IST / Updated: Oct 07 2022, 12:36 PM IST

लखनऊ: सपा संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का इलाज गुरुग्राम मेदांता अस्पताल में जारी है। इस बीच पार्टी के समर्थक और नेताजी को पसंद करने वाले तमाम लोग उनकी लंबी उम्र और जल्द ठीक होने की कामना कर रहे हैं। कई जगहों पर पूजन-हवन और दुआ की जा रही हैं। अपने 55 साल के राजनीतिक करियर में मुलायम सिंह यादव ने कई उतार चढ़ाव देखे। हालांकि उन्होंने कभी भी परिस्थितियों से हार नहीं मानी। आज हम आपको उनके जीवन से जुड़े एक ऐसे ही किस्से के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जब फंड की कमी से जूझ रही सपा को नई संजीवनी दी थी।

हार के बाद समीक्षा और फिर बनाया आगे का प्लान
यूपी में 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना पड़ा था। पार्टी महज 100 सीटों पर ही सिमटकर रह गई थी। इस हार में कई दिग्गज नेताओं को भी अपनी सीट से हाथ धोना पड़ा था। इस हार के बाद मुलायम सिंह यादव ने मंथन शुरू किया। करारी शिकस्त के बाद हार के कारणों की समीक्षा शुरू की गई। पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं से लेकर बूथ स्तर के नेताओं तक का फीडबैक लिया। समीक्षा में पता चला कि संसाधनों की कमी चलते ही पार्टी को यह करारी शिकस्त मिली। पार्टी के नेताओं ने बताया कि किस तरह से संसाधनों के आभाव में विरोध उन्हें मात दे गए। इसके बाद नेताजी ने पार्टी में उद्योगपतियों के सहयोग की पहल शुरू की।

ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टियों में शामिल हुई सपा
अमर सिंह के सहयोग से ही मुलायम सिंह यादव ने उद्योगपतियों को साथ लाना शुरू किया। इसके बाद आलम यह हुआ कि संसाधनों से जूझ रही समाजवादी पार्टी की बैठके भी फाइव स्टार होटल में आयोजित होने लगी। समय के साथ भाजपा और कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी सबसे ज्यादा चंदा हासिल करने वाली पार्टियों की लिस्ट में भी शामिल हो गई। जिस समय हार के बाद तमाम नेता भीतर ही भीतर टूट रहे थे उस समय भी मुलायम सिंह यादव ने धैर्य से काम लिया और पार्टी को फिर से खड़ा किया। इसके बाद 2012 के चुनावों में सपा ने एक बार फिर से बड़ी जीत हासिल की। 

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