8वीं तक पढ़ा था अलकायदा चीफ, इस वजह से 18 साल की उम्र में छोड़ा था घर

अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक में मारे गए अलकायदा चीफ असीम उमर के भाई रिजवान ने उसके बारे में कई अनसुनी बातें शेयर की। असीम मूलतः यूपी के सम्भल का रहने वाला था। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 10, 2019 11:23 AM IST

सम्भल (Uttar Pradesh). अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांत मूसा कला जिले में अमेरिका द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक में आतंकी संगठन अल कायदा का चीफ असीम उमर उर्फ सनाउल मारा गया। बता दें, उमर यूपी के सम्भल जिले का रहने वाला था। वह भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा का कमांडर था। साल 2015 से वो मोस्टवांटेड की लिस्ट में शामिल था। अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी ने उसे अलकायदा कमांडर की जिम्मेदारी सौंपी थी। फिलहाल, खुफिया एजेंसियों ने सम्भल में डेरा डाल लिया है। 

जानें परिवार का क्या है कहना
सम्भल के दीपा सराय के रहने वाले उमर के भाई रिजवान ने बताया, मंगलवार को उसकी (असीम उमर) मारे जाने की खबर मिली। कोई अफसोस नहीं है। 1998 में 18 साल की उम्र में वो हमें छोड़कर चला गया था, जिसके बाद से उससे बात नहीं हुई। वहीं, उमर की मां रुकैया कहती हैं, हमारे लिए तो वो 2009 में ही मर गया था। जब खुफिया अधिकारियों ने हमें बताया था कि बेटा आतंकी संगठन में शामिल हो गया है। उस समय उसके पिता ने अखबारों में विज्ञापन छपवाकर खुद को उससे अलग कर लिया था। साल 2017 में उनकी मौत हो गई। 

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आतंकी के पूर्वज थे स्वतंत्रता सेनानी
स्थानीय लोगों की मानें तो सनाउल के दादा गांव के मुखिया थे। उसके पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी और परदादा ब्रिटिश राज के दौरान जिला मजिस्ट्रेट थे। हक का भाई रिजवान संभल में टीचर है। 

8वीं तक पढ़ा था अल-कायदा का कमांडर
जानकारी के मुताबिक, आसिम उमर उर्फ सनाउल हक ने सम्भल के हिंद इंटर कॉलेज से 8वीं तक की पढ़ाई की थी। रोजे वाली मस्जिद में हिफ्ज भी किया था। 1991 में देवबंद से मौलवीअत की डिग्री हासिल की। हालांकि, इस्लामिक मदरसे ने इस तरह की रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया है। दारुम उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने कहा, रिकॉर्ड्स को अच्छी तरह से खंगाला गया है। सनाउल हक नाम का कोई छात्र नहीं मिला। 

इस वजह से छोड़ा था घर 
उमर आगे की पढ़ाई के लिए वो सऊदी अरब जाना चाहता था। पिता से उसने 90 हजार रुपए की मांग की। पिता ने बहन की शादी करने का हवाला देकर पैसे देने से मना कर दिया। जिससे गुस्से में उमर ने घर छोड़ दिया। 30 जून 1996 को दिल्ली से खुफिया एजेंसियों की टीम संभल के दीपा सराय पहुंची थी और पिता को हिरासत में लेकर दिल्ली चली गई। 4 दिन पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। 

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