
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Chunav) में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले सियासत गर्म है। योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद अब इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि क्या उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य (Sanghmitra Maurya) भी पाला बदलेंगी? क्या उन्होंने अपर्णा यादव के बहाने बहू-बेटी वाले बयान से भाजपा पर हमला बोला? इन अटकलों पर बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने विराम लगा दिया है और कहा कि पिता जी सपा में चले गये हैं, तो जरूरी नहीं कि मैं भी चली जाऊं। देश और प्रदेश की राजनीति में बहुत अंतर होता है। मैं उनकी बेटी होने के नाते उनके साथ खड़ी रहूंगी और जहां राजनीति की बात होगी मैं हमेशा अपनी पार्टी के साथ खड़ी रहूंगी। इस तरह से संघमित्रा मौर्य ने इशारा कर दिया कि वह भाजपा का दामन नहीं छोड़ने वाली हैं।
समाजवादी पार्टी (एसपी) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने को लेकर बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य लगातार हमलावर हैं। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी छोड़ एसपी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में एक बार फिर अपर्णा यादव के बीजेपी में आने पर तंज कसा है। उन्होंने अगड़े और पिछड़े वर्ग को लेकर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपर्णा यादव का चचेरा भाई बताया है।
अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के बाद दिए अपने बयान पर उन्होंने कहा कि मैंने उन सलाहकारों पर निशाना साधा, जिनके पास कोई काम नहीं है और घर बैठे सोशल मीडिया से निशाना साधते हैं। पिता जाता है तो बेटी पर वार होता है, बहू आती है तो सम्मान, सभी बहन-बेटीयों को एक समान देखना चाहिए। बीजेपी में बेटी-बहू में अंतर नहीं करता है। पीएम तो बेटी की तरह मानते हैं। हम लोगों के साथ बीजेपी में बेटी-बहू का अंतर नहीं होता है। यह वे लोग करते हैं, जिनके पास काम नहीं है। मैं उनकी बेटी होने के नाते उनके साथ खड़ी रहूंगी और जहां राजनीति की बात होगी मैं हमेशा अपनी पार्टी के साथ खड़ी रहूंगी।
फेसबुक पोस्ट में संघमित्रा ने क्या लिखा था?
बता दें कि बुधवार को संघमित्रा मौर्य ने फेसबुक पोस्ट लिख इशारों-इशारों में सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा था।
संघमित्रा ने लिखा था कि संस्कार शब्द अच्छा है, लेकिन संस्कार है किसके अंदर? हफ्ते भर पहले एक बेटी का पिता पार्टी बदलता है तो पुत्री पर वार हो रहा था, आज वही एक बहू अपने चचेरे भाई (योगी जी) के साथ एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आती है तो स्वागत। क्या इसको भी वर्ग से जोड़ा जाना चाहिए कि बेटी (मौर्य) पिछड़े वर्ग की है और बहू (बिष्ट) अगड़े वर्ग से है. क्या बहन-बेटी की भी जाति और धर्म होता है? अगड़ा बीजेपी में आता है तो राष्ट्रवादी और वो वोट बीजेपी को करेगा या नहीं इसपे सवाल खड़ा करना तो दूर सोचा भी नहीं जाता, लेकिन पार्टी में रहने वाला राष्ट्रद्रोही, उसके वोट पे सवाल खड़े हो रहे ऐसा क्यों?
आपको बता दें कि अपर्णा यादव के बीजेपी में आने के बाद से बदायूं सांसद संघमित्रा मौर्य परोक्ष रूप से लगातार अपनी ही पार्टी को घेर रही हैं।
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