सांप के काटने से ये नहीं बल्कि इस बाबा के काटने से मर गया था सांप, ऐसी है हठ योगी की कहानी

प्रयागराज में संगम किनारे इन दिनों माघमेला चल रहा है। पूरे देश भर से अनेकों साधु संत व आम लोग यहां संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे हैं। इस कल्पवास में ऐसे भी कई हठयोगी साधु दिखाई दे जाते हैं जिनका रूप-रंग अपने आप ही लोगों को ठिठकने पर मजबूर कर देता है। लोगों के आकर्षण का केंद्र बने ये साधु संत इन दिनों माघमेले में अक्सर ही दिखाई दे जाते हैं

प्रयागराज(Uttar Pradesh ). प्रयागराज में संगम किनारे इन दिनों माघमेला चल रहा है। पूरे देश भर से अनेकों साधु संत व आम लोग यहां संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे हैं। इस कल्पवास में ऐसे भी कई हठयोगी साधु दिखाई दे जाते हैं जिनका रूप-रंग अपने आप ही लोगों को ठिठकने पर मजबूर कर देता है। लोगों के आकर्षण का केंद्र बने ये साधु संत इन दिनों माघमेले में अक्सर ही दिखाई दे जाते हैं। ऐसे ही एक हठयोगी से ASIANET NEWS HINDI ने बात की। उस साधु को अपना हठयोग पूरा करने की ऐसी सनक चढ़ी कि उसने अपने सिर पर ही जौ की खेती कर डाली। 

सोनभद्र के मारकुंडी नामक स्थान से आए बाबा अमरजीत ने ऐसा हठयोग ठान लिया कि उन्होंने अपने सिर पर ही जौ की खेती कर ली। बाबा अमरजीत के मुताबिक वह एक मान्यता के बाद ये हठयोग कर रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि केवल 5 दिनों में उनके सिर पर ये लहलहाती फसल तैयार हुई है। 

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गाड़ियों का मकैनिक था ये बाबा 
बाबा अमरजीत ने बताया कि "मै  सोनभद्र के रेणूकूट में ट्रकों व बसों की कमानी का मकैनिक था। मै वहां का फेमस मकैनिक था। मेरे पास गाड़ियों की भीड़ लगी रहती थी। लेकिन फिर अचानक मन इन सब चीजों से रूठ गया और मै सन्यासी बन गया। अब मै सिर्फ हठयोग करता हूं। कुछ दिनों पहले मैंने समाधि भी ली थी। माघ मेले में एक महीने तक मेरे गहठयोग चलेगा। "

सिर पर कर ली जौ की खेती 
बाबा अमरजीत ने बताया "मैंने चंद्रग्रहण के दिन अपने सिर पर जौ बोये थे। जिसकी लहलहाती फसल आपके सामने है। अब मै आने वाली अमावस्या को इसे गंगा की मछलियों को खिलाऊंगा। ये मेरा हठयोग था जिसे मै पूरा कर रहा हूं। मै ये सब किसी पब्लिसिटी के लिए ये फिर लोगों के आकर्षण के लिए नहीं कर रहा हूं। 

इनके काटने से मर गया था सांप 
बाबा अमरजीत के मुताबिक "एक बार मुझे सांप ने काट लिया था। सांप के काटने से मै जिन्दा बच गया। उसके बाद मुझे सांप पर क्रोध आया और मैंने सांप को ही पकड़ कर काट लिया। मेरे काटने से सांप मर गया। उसी के बाद मै सन्यासी बन गया और तब से मेरा अलग-अलग हठयोग चलता रहता है। 

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