कोरोना की दूसरी लहर ने एक महीने के अंदर ही उजाड़ दिया पूरा परिवार, ऑक्सीजन की कमी से हुई थी सबकी मौत

Published : Apr 29, 2022, 08:22 PM IST
कोरोना की दूसरी लहर ने एक महीने के अंदर ही उजाड़ दिया पूरा परिवार, ऑक्सीजन की कमी से हुई थी सबकी मौत

सार

लखनऊ के बाहरी इलाके इमालिया पुरवा में कोविड महामारी के चलते एक यादव परिवार 24 दिनों में उजड़ गया। इस परिवार के आठ लोग 24 दिनों में दुनिया को अलविदा कहकर चले गए। इस दौरान सभी ऑक्सीजन की कमी से हांफते हुए दम तोड़ दिया। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी के बाहरी इलाके इमालिया पुरवा में एक यादव परिवार का विशाल 8 कमरों का घर खाली है। एक साल पहले कोविड महामारी की दूसरी लहर में इस परिवार में 24 दिनों के अंदर आठ सदस्यों की मौत हो गई थी। कोविड की इस लहर में परिवार की एक मौत और दाह संस्कार औसतन हर तीन दिन में हो रहा था।

यादव परिवार के मरने वाले सदस्यों में दो बहने, उनके चार भाई, उनकी मां और चाची शामिल थी। इनमें से कुछ लोगों की प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से वहां पर हांफ रही थी तो कुछ घर पर ही। सीमा सिंह यादव के 45 वर्षीय पति निरंकार सिंह एक किसान थे। उनकी भी पिछले साल कोविड में 25 अप्रैल को अस्पताल में छह दिन बिताने के बाद मृत्यु हो गई थी। 

ऑक्सीजन के लिए हांफते-2 हुई मृत्यु
सीमा सिंह यादव ने अपने पति के बारे में बताया कि वह चिल्ला रहा था और ऑक्सीजन के लिए हांफ रहा था। उन्होंने मुझसे डॉक्टर के पास जाने और अधिक ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए कहा। जिसके बाद डॉक्टर से ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाने के लिए भीख मांग रही थी। जिसके बाद डॉक्टर ने एक बार ऐसा किया लेकिन फिर भी मेरे पति को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

जिसे देखकर फिर डॉक्टर से बढ़ाने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि इतनी भी नहीं मिलेगा। डॉक्टर की इस बात को पति ने सुन लिया और मुझसे पूछने लगे कि डॉक्टर ऐसा क्यों कह रहे हैं। सीमा ने आगे बताया कि उसे अपने पति से झूठ बोलना पड़ा कि डॉक्टर किसी और की बात कर रहे हैं। ऑक्सीजन के लिए हांफते हुए उनकी मृत्यु हो गई। 

बच्चों के जीवन को नहीं करना है खराब
साल भर गुजरना मौतों की तरह दर्दनाक रहा है। कोविड महामारी के बाद सबसे बड़ी चिंता अपने 19 और 21 वर्षीय बेटों को शिक्षित करना है। सीमा का बड़ा बेटा हैदराबाद में फैशन डिजाइन का छात्र है तो वहीं छोटा बेटा 12वीं की परीक्षा दे चुका है और खेत में मदद करता है। इस पर सीमा यादव कहती है कि एक दिन और गुजरना बहुत मुश्किल है। मैं केवल बच्चों के लिए  जीवित हूं। उन्होंने बताया कि उनके पति उनसे पूछते थे कि मैं बहुत बीमार पड़ गया और अगर मुझे कुछ हो गया तो वे क्या करेंगे। मैं केवल उनकी वजह से जीवित हूं। मुझे अपने बच्चों को शिक्षित करना क्योंकि मुझे लगता है कि मेरे साथ चाहे कुछ भी हो जाए, उनका जीवन खराब नहीं होना चाहिए। 

मुआवजा मिलने के बाद भविष्य की चिंता
तो वहीं दूसरी ओर कुसमा देवी के 61 वर्षीय पति विजय कुमार सिंह भी किसान और सबसे बड़े भाई थे। उनकी मृत्यु भी कोविड महामारी की दूसरी लहर में 1 मई को एक निजी अस्पताल में 10 दिनों के संघर्ष के बाद मृत्यु हो गई। कुसमा देवी अब घर की प्रभारी हैं और कहती हैं कि सरकार ने मुआवजा दिया लेकिन भविष्य ने उन्हें चिंतित कर दिया।

कुसमा देवी से जब पूछा गया कि उन्होंने पिछले साल कैसे कामयाबी हासिल की, तो उन्होंने दम तोड़ दिया, रुक गई और अपने आंसू पूछे। आगे कहती है कि मैं केवल भगवान से प्रार्थना करता हूं कि जो हमने सामना किया है, उससे कोई न गुजरे। किसी का गरीब होना ठीक है, एक दिन में केवल एक बार भोजन करना, लेकिन किसी को भी इस तरह का दुख नहीं सहना चाहिए। हमने ऐसा कुछ कभी नहीं देखा था। यह हमारे जीवन में है। मुझे चिंता है कि घर कैसे चलाया जाए और बच्चे कैसे पढ़ेंगे। पढ़ाई सबसे महत्वपूर्ण है। हमें मुआवजा मिला, हमने इसका इस्तेमाल फीस आदि के लिए किया। लेकिन हम भविष्य के बारे में चिंतित हैं। 

बिना पिता और भाई की इस महिला पर पति करता है जुल्म, घर से निकालकर कहा- ये बेटियां पैदा करती है, वो भी अंधी

एक साथ तलाक मांग रहीं मां और बेटी, पूरा मामला सुनकर हैरत में पड़े लोग

इन दुल्हनों से रहे जरा बचके, ऐसे लोगों को निशाना बनाकर दे रही हैं लूट को अंजाम

PREV

उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

Lucknow Weather Today: यूपी में शीतलहर, अगले 3 दिन ठंड से राहत की उम्मीद नहीं
जेवर एयरपोर्ट का उद्घाटन आखिर क्यों रुका? सारा पंडाल समेटा गया, वजह चौंकाने वाली!