प्रसपा के अध्यक्ष और अपने चाचा शिवपाल यादव के भाजपा में जाने की अटकलों के बीच उनके अगले सियासी कदम का जवाब देने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी तैयार हो गए हैं। उन्होंने प्रसपा के मुख्य राष्ट्रीय महासचिव वीरपाल सिंह को सपा खेमे में आने का आमंत्रण दे दिया है। नतीजतन, शिवपाल सिंह खेमे में नए कदम से पहले ही खलबली है।
राजीव शर्मा
बरेली: चर्चाएं तेज हैं कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल यादव 19 अप्रैल को भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अलबत्ता, अभी तक शिवपाल की ओर से इसका इन चर्चाओं का कोई खंडन नहीं किया गया है, नतीजतन, उनके अगले राजनीतिक कदम पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। चूंकि चाचा शिवपाल यादव के अगले कदम से समाजवादी पार्टी को ही झटका लगना है इसलिए उनकी भरपाई के लिए सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अभी से डैमेज-कंट्रोल में जुटे गए हैं। इसके लिए उन्होंने चाचा शिवपाल को अभी से झटका देने वाला दांव चला है। अखिलेश यादव ने प्रसपा के मुख्य राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रहे वीरपाल सिंह यादव को सपा खेमे में लाने की कवायद शुरू की है। शनिवार को अखिलेश ने वीरपाल सिंह यादव को बरेली से लखनऊ बुलाया और लंबी चर्चा की। इसके बाद से माना जा रहा है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद खास रहे और बरेली मंडल में यादवों के बीच बेहद प्रभाव रखने वाले खांटी समाजवादी नेता वीरपाल सिंह की सपा में वापसी हो सकती है।
सपा में उपेक्षा के बाद शिवपाल के साथ गए थे वीरपाल यादव
पूर्व राज्यसभा सांसद वीरपाल सिंह ने लगभग ढ़ाई दशक तक बरेली की सपा की अगुवाई की। लगातार पांच बार जिलाध्यक्ष और प्रदेश व राष्ट्रीय कमेटी में भी अहम जिम्मेदारी पर रहे। मुलायम सिंह के साथ वह तब से रहे, जब सपा की स्थापना भी नहीं हुई थी इसलिए उनको सपा के संस्थापकों में माना जाता है लेकिन जब अखिलेश यादव पार्टी के अध्यक्ष बने तो वीरपाल सिंह यादव खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए सपा से किनारा कर गए और शिवपाल के साथ प्रसपा में चले गए थे। अब जब शिवपाल के भाजपा में जाने की अटकलें शुरू हुईं तो वीरपाल सिंह को अखिलेश यादव से बुलावा आया है। इससे बरेली में वीरपाल सिंह खेमा उत्साहित है।
अखिलेश से बोले- भाजपा के साथ तो कभी नहीं जा सकता
लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई मुलाकात में वीरपाल सिंह ने साफ कह दिया कि शिवपाल चाहें तो जाएं लेकिन मैं भाजपा में कभी नहीं जा सकता। वजह बताते हुए कहा- भाजपा की नीतियों का हमेशा विरोध किया। सदैव समाजवाद का झंडा उठाए रखा तो अब कैसे भाजपा की हिमायत कर सकते हैं। बताते हैं कि अखिलेश यादव ने उनसे यह जानने की भी कोशिश की कि क्या शिवपाल की उनसे भाजपा में जाने के बारे में बता हुई तो वीरपाल सिंह ने साफ कह दिया कि जिस दिन से उन्होंने यह सुना है कि शिवपाल भाजपा में जा रहे हैं, उस दिन से उन्होंने कोई बात नहीं की। बहरहाल, यह तो अभी खुलासा नहीं हो सका है कि अखिलेश यादव वीरपाल सिंह को सपा में लाने का दांव कब खेलेंगे लेकिन दोनों की मुलाकात से यह तो साफ हो ही गया है कि वीरपाल सिंह को साथ लाकर अखिलेश चाचा शिवपाल सिंह को बड़ा झटका देंगे। वहीं, वीरपाल सिंह यादव का कहना है कि अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी। मैं तो हमेशा समाजवादी रहा हूं और आगे भी इसी विचारधारा के साथ हूं, भाजपा के साथ कभी नहीं जा सकता।
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