सपा ने 7 सीट पर उतारे प्रत्याशी, दो पर मंथन जारी, आइए जानते हैं इन उम्मीदवारों की Ground रिपोर्ट

 सपा ने ग्रामीण सीट पर पूर्व विधायक विजय बहादुर यादव और चिल्लुपार सीट पर पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे और बसपा से सपा में शामिल हुए विनय शंकर तिवारी पर भरोसा जताया है। इसके अलावा कैंपियरगंज सीट से अभिनेत्री काजल निषाद, पिपराइच से अमरेंद्र निषाद, सहजनवां से पूर्व यशपाल रावत, बांसगांव से डॉ संजय कुमार और खजनी सीट से रूपावती को सपा ने अपना प्रत्याशी चुना है। वहीं, अचानक सपा की लिस्ट जारी होते ही गोरखपुर में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया। 

अनुराग पाण्डेय
गोरखपुर:
उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां परचम लहराने के लिए जोर–शोर से लग गई हैं। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को यूपी के  56 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। इनमें गोरखपुर जिले की सदर और चौरीचौरा सीट को छोड़ अन्य 7 सीटों पर भी प्रत्याशियों के नाम सपा ने घोषित कर दिए। सपा ने ग्रामीण सीट पर पूर्व विधायक विजय बहादुर यादव और चिल्लुपार सीट पर पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे और बसपा से सपा में शामिल हुए विनय शंकर तिवारी पर भरोसा जताया है। इसके अलावा कैंपियरगंज सीट से अभिनेत्री काजल निषाद, पिपराइच से अमरेंद्र निषाद, सहजनवां से पूर्व यशपाल रावत, बांसगांव से डॉ संजय कुमार और खजनी सीट से रूपावती को सपा ने अपना प्रत्याशी चुना है। वहीं, अचानक सपा की लिस्ट जारी होते ही गोरखपुर में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया। 

योगी के खिलाफ चंद्रशेखर को समर्थन 
वहीं, गोरखपुर सदर सीट को लेकर अभी सपा उम्मीदवार का सस्पेंस जारी है। हालांकि इससे पहले खबर थी कि भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे योगी आदित्यनाथ के करीबी उपेंद्र दत शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ल को सपा अपना उम्मीदवार घोषित कर दी है, लेकिन इस बीच राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सपा गोरखपुर सदर सीट से प्रत्याशी न उतारकर भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर को अपना समर्थन दे सकती है। क्योंकि इस वक्त सभी विपक्षी दलों के सामने सीएम योगी से गोरखपुर सदर सीट पर टक्कर लेना बड़ी चुनौती बन गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा के अलावा कई अन्य राजनीतिक दल चंद्रशेखर आजाद को अपना समर्थन दे सकते हैं।

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जानें...कौन हैं सपा के प्रत्याशी?

विजय बहादुर यादव, गोरखपुर ग्रामीण
विजय बहादुर यादव गोरखपुर ग्रामीण से पूर्व विधायक रहे हैं। पहली बार साल 2007 में विजय बहादुर यादव मानीराम सीट से भाजपा के विधायक चुने गए। फिर दूसरी बार वे साल 2012 से 2017 तक भी भाजपा के विधायक रहे। हालांकि इस बीच वे भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए। सपा ने साल 2017 में उन्हें इसी सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन भाजपा प्रत्याशी विपिन सिंह के आगे वे टिक नहीं सके और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार भी सपा ने विजय बहादुर यादव पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

विनय शंकर तिवारी, चिल्लुपार गोरखपुर
चिल्लूपार विधान सभा सीट से समाजवादी पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे और चिल्लूपार के निवर्तमान विधायक विनय शंकर तिवारी को आपना उम्मीदवार घोषित किया। विनय शंकर ने अपने राजनैतिक कैरियर कि शुरुआत साल 2007 से शुरू की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वे गोरखपुर लोकसभा सीट से सीएम योगी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा के टिकट पर 2017 में वे पहली बार चिल्लूपार सीट से भाजपा कंडीडेट राजेश त्रिपाठी को हराकर विधायक बनें। हालांकि इससे पहले इस सीट से उनके पिता पंडित हरिशंकर तिवारी ही लंबे समय तक विधायक रहे। लेकिन इस बार चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बसपा का दामन छोड़ कर सपा का हाथ थाम लिया। ऐसे में इस बार उन्हें इस बार समाजवादी पार्टी से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

रुपावती बेलदार, खजनी गोरखपुर
खजनी विधानसभा के 325 में सपा से रूपवती बेलादर को टिकट मिला। रूपवती बेलदार इससे पहले भी चुनाव में भाग्य आजमा चुकी हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। पहली बार निर्दल प्रत्याशी के रूप में वे चुनाव लड़ीं। इसके बाद साल 2012 में सपा से और फिर साल 2017 में भी सपा से वे तीसरे स्थान पर रहीं। रुपावती के पति पंजाब नेशनल बैंक में बतौर बैंक मैनेजर कार्यरत रहे हैं, लेकिन कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पत्नी के साथ ही राजनीति में उतर पड़े। हालांकि लगातार तीन विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद भी अब तक रुपावती को राजनीति में कोई मुकाम हासिल नहीं हुई है।

अमरेंद्र निषाद, पिपराइच गोरखपुर
सपा ने पिपराइच से अमरेंद्र निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया है। अमरेंद्र निषाद पूर्व मंत्री स्वर्गीय जमुना निषाद के बेटे हैं। जबकि इनके पिता बसपा शासनकाल में 2007 में विधायक हुए और बसपा सरकार में मंत्री भी हुए। इसके बाद उनकी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। फिर उनकी जगह उनकी पत्नी राजमती निषाद 2011 से 2017 तक पिपराइच सीट से बसपा से विधायक रहीं। वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने अमरेंद्र को इस सीट से प्रत्याशी बनाया, लेकिन भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेंद्र पॉल ने उन्हें हरा दिया। 2017 के चुनाव में अमरेंद्र तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट से दूसरी स्थान पर बसपा प्रत्याशी आफताब आलम रहे। इस बार सपा ने इसी सीट से फिर अमरेंद्र निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

डॉ.संजय कुमार, बांसगांव गोरखपुर
बांसगांव सीट से सपा ने डॉ. संजय कुमार को प्रत्याशी घोषित किया है। डॉ. संजय कुमार मूल रूप से चिल्लूपार के तीहा मुहम्मदपुर के निवासी हैं। साल 2013 में वे लोकसभा बांसगांव से  कांग्रेस के प्रत्याशी भी रह चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। डॉ. संजय का परिवार सपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस से जुड़े हुए थे। संजय कुमार ने अपनी पढ़ाई अमेरिका से की है। इसके बाद वे स्वदेश लौटकर राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। हालांकि फिलहाल उन्हें अब तक सफलता तो हाथ नहीं लगी, लेकिन इस बार सपा ने उनपर भरोसा जताते हुए अपना उम्मीदवार बनाया है। 

काजल निषाद, कैंपियरगंज गोरखपुर
फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद को सपा ने कैंपियरगंज सीट से अपनी प्रत्याशी के रुप में उतारा है। इससे पहले साल 2012 में वे गोरखपुर ग्रामीण सीट से भी कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन बुरी तरह हार का सामना करने के बाद अब 2022 के चुनाव में वे अपनी किस्मत आजमा रही हैं। हालांकि इस बार चुनाव का बिगलु बजने के बाद अचानक काजल ने कांग्रेस छोड़ सपा का दामन थाम लिया। हालांकि इस सीट पर भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह के सामने 2017 के चुनाव में प्रबल दावेदार एवं पुराने सपाई परिवार की जिला पंचायत अध्यक्ष रही चिंता यादव भी टिक नहीं सकीं। उन्हें लगातार दो बार सपा के टिकट पर हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में इस बार भाजपा विधायक के आगे काजल निषाद कितनी मजबूती से टक्कर देंगी, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

यशपाल रावत, सहजनवां गोरखपुर
सहजनवा सीट से पूर्व विधायक यशपाल सिंह रावत को समाजवादी पार्टी ने इस बार फिर चुनाव मैदान में अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यशपाल सिंह रावत पुराने सपाई और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बेहद नजदीकी माने जाते हैं। यशपाल सिंह रावत की अपने क्षेत्र में अच्छी पैठ मानी जाती है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी शीतल पांडेय के सामने हार का सामना करना पड़ा था। यशपाल सिंह रावत 2007 में विधायक भी रह चुके हैं। उनके पिता शारदा प्रसाद रावत भी 1977 एवं 1989 दो बार विधायक और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वहीं, उनकी माता प्रभा रावत भी 1993 सपा से विधायक रह चुकी हैं।
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