सपा नेता ने प्रत्याशियों की घोषणा से पहले ही अपनी दावेदारी की पक्की, देखें पूरा मामला

बता दें कि मुजीब अहमद राजनीति का कोई बड़ा चेहरा नहीं थे। बीएसपी में भी इन्हें कोई न जानता था, न पहचानता था। 2017 का विधानसभा चुनाव इनके लिए संजीवनी बना। वो बसपा से टिकट लेकर सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ने पहुंचे पानी की तरह पैसा बहाया क्षेत्र में ताबड़तोड़ उनकी गाड़ियां दौड़ीं। तब लोगों ने जाना कि यह मुजीब हैं। करीब डेढ़-दो महीने तक वो क्षेत्र में डटे रहे और चुनाव में मिली हार के बाद वो गायब हुए तो पांच साल बाद अब वापस लौटे हैं। 

सुलतानपुर: समाजवादी पार्टी (SP) यूपी की सत्ता हथियाने के लिए आतुर है। लेकिन जिस तरह उसमें बगावत है उससे उसका यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा। इसकी बानगी सुलतानपुर में आज तब देखने को मिली जब सपा नेता मुजीब अहमद (Mujib Ahmad) ने जिलाध्यक्ष पृथ्वीपाल (Prathvi pal) को सपा का सिंबल लगा एक स्मृति चिंह भेंट किया। जिस पर मुजीब अहमद 187 विधानसभा इसौली लिखा है। इसके जरिए साफ संकेत हैं कि वो वहां से दावेदारी दिखा रहे। हालांकि मुजीब हाल में ही बसपा छोड़ सपा में आए हैं।

सपा के काम से प्रभावित हो छोड़ी बसपा 
दरअस्ल इसौली सीट से पूर्व सांसद ताहिर खां (Tahir Khan) प्रबल दावेदार हैं। उन्होंने क्षेत्र में खासा समय दिया है और जनता में पकड़ भी मजबूत हैं। ठीक इस समय मुजीब की इंट्री और इसौली का उनके द्वारा जिक्र बड़ी बगावत का संकेत दे गई है। उधर मीडिया से बात करते हुए मुजीब अहमद ने कहा  राष्ट्रीय आदेश ने जब आदेश किया तब हम आ गए। हम सपाई बनकर आए हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जहां ड्यूटी लगा देंगे हम उसका पालन करेंगे। बसपा (BSP) छोड़ने पर उन्होंने कहा कि सपा के काम से प्रभावित होकर उन्होंने बसपा छोड़ दी। हम काम करने आए हैं बीजेपी (BJP) की तरह लोगों को झांसा देने नहीं आए हैं।

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2017 का विधानसभा चुनाव ने दिलाई मुजीब अहमद को पहचान
बता दें कि मुजीब अहमद राजनीति का कोई बड़ा चेहरा नहीं थे। बीएसपी में भी इन्हें कोई न जानता था, न पहचानता था। 2017 का विधानसभा चुनाव इनके लिए संजीवनी बना। वो बसपा से टिकट लेकर सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ने पहुंचे पानी की तरह पैसा बहाया क्षेत्र में ताबड़तोड़ उनकी गाड़ियां दौड़ीं। तब लोगों ने जाना कि यह मुजीब हैं। करीब डेढ़-दो महीने तक वो क्षेत्र में डटे रहे और चुनाव में मिली हार के बाद वो गायब हुए तो पांच साल बाद अब वापस लौटे हैं। मोदी लहर थी, इसलिए मुजीब के अपने वर्ग ने काफी बड़ी संख्या में उन्हें वोट किया। मुजीब दूसरे पायदान पर रहे। उन्हें 54 हजार 393 मत मिले थे, लेकिन उनके इतने वोटों ने सपा के दो बार के विधायक अनूप संडा (Anoop Sanda) की हैट्रिक पर ब्रेक लगा दिया था। संडा को पहली बार 2007 में 29,504, 2012 में 57,811और 2017 में 53,238 वोट मिले थे। अब जब मुजीब ने सपा ज्वाइन किए तो वो सपा को कितना लाभ पहुंचा पाएंगे, यह बड़ा सवाल है।

लगातार बढ़ रहा सपा का कुनबा, बीजेपी के आधा दर्जन से ज्यादा नेता हो चुके हैं सपा में शामिल

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