इस IAS को पढ़ाई के लिए खेतों में करना पड़ा था काम, रेस्क्यू के दौरान लोग देख चुके हैं बहादुरी

 रेस्क्यू के दौरान गंगा नदी के बाढ़ के पानी में गिरने वाले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के डीएम सुरेंद्र सिंह को बेहद मेहनती और कर्मठ आईएएस अफसरों में शुमार किया जाता हैं। hindi.asianetnews.com ने वाराणसी के डीएम सुरेंद्र सिंह से खास बात की। 

Ujjwal Singh | Published : Oct 21, 2019 7:46 AM IST / Updated: Oct 21 2019, 01:35 PM IST

लखनऊ( Uttar Pradesh ). एक माह पूर्व वाराणसी में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ में पीड़ितों की मदद करते हुए एक शख्स गंगा नदी के बाढ़ के पानी में गिर गया था। हांलाकि NDRF टीम ने मुस्तैदी दिखाते हुए उन्हें बचा लिया था। लेकिन इस रेस्क्यू के दौरान उन्हें काफी चोटें आई थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। रेस्क्यू के दौरान गंगा नदी में गिरने वाला ये शख्स कोई और नहीं बल्कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के डीएम सुरेंद्र सिंह थे। सुरेंद्र सिंह बेहद मेहनती और कर्मठ आईएएस अफसरों में शुमार किया जाता हैं। hindi.asianetnews.com ने वाराणसी के डीएम सुरेंद्र सिंह से खास बात की। इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों व सफलता की कहानी हमसे शेयर किया।

IAS सुरेंद्र सिंह यूपी के मथुरा जिले के सैदपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता हरि सिंह एक साधारण किसान थे। खेती ही फैमिली की आय का मुख्य जरिया था।इसी खेती की इनकम पर ही परिवार का खर्च व सभी बच्चों की पढ़ाई आश्रित थी। सुरेंद्र सिंह का बचपन काफी गरीबी में बीता। बचपन से ही पढ़ने में तेज सुरेंद्र के प्रति पूरे घर का एक सपना था। इस सपने को वह भी बखूबी समझते थे।

पिता की खेती में बंटाते थे हांथ
सुरेंद्र सिंह बताते हैं, " मेरे परिवार की आय का मुख्य जरिया खेती ही था। मैं अक्सर स्कूल से आने के बाद खेतों में पहुंच जाता और पिता जी का काम में हाथ बंटाता। हालांकि, वो मुझे काम करने से मना करते थे, क्योंकि वो चाहते थे कि मेरा ध्यान कभी पढ़ाई से न भटके। वो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन मेरी पढ़ाई उनके लिए काफी मायने रखती थी। यह बात मैं बचपन से ही महसूस करने लगा था। मैं 8वीं क्लास तक गांव के ही स्कूल में पढ़ा। उसी दौरान मेरे बड़े भाई जीतेंद्र को दिल्ली में प्राथमिक स्कूल में टीचर की जॉब मिल गई। मैं भी उनके साथ दिल्ली चला गया। वहां इंटर करने के बाद मैं आगे की पढ़ाई लिए राजस्थान चला गया।"

पिता के सपने पूरा करने के लिए तीन बार छोड़ी PCS की नौकरी
सुरेंद्र बताते हैं, "राजस्थान में पढ़ाई के दौरान मैंने  Msc में टॉप किया, मुझे गोल्ड मेडल भी मिला। पढ़ाई के दौरान मैं कई गवर्नमेंट जॉब के लिए एग्जाम देता रहता था। मैंने एयरफोर्स और ONGC में जॉब के लिए एग्जाम दिया था। संयोग से दोनों में मेरा सिलेक्शन हो गया। मैं ONGC में जियोलॉजिस्ट के पद पर नौकरी करने लगा।  इसके बावजूद भी मेरे दिल में हमेशा यही ख्याल आता कि शायद अभी पिता जी का सपना अधूरा है। मैंने 3 बार PCS का एग्जाम क्वालीफाई किया, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। क्योंकि दिल में IAS बनने का ख्वाब था। साल 2005 में IAS क्वालीफाई किया, देश में 21वीं रैंक हासिल की।"

बाढ़ पीड़ितों की मदद करते समय जोखिम में डाली थी जान
सुरेंद्र सिंह का हाल ही में सोशल मीडिया में एक वीडियो खूब वायरल हुआ था। वह वाराणसी में आई भयंकर बाढ़ में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए गए थे। वह एक छत से नीच लटककर लोगों को खाने की पैकेट दे रहे थे उसी समय छत की दीवार टूट गयी थी। जिसके बाद सुरेंद्र दीवार समेत बाढ़ के पानी में गिर पड़े थे। हांलाकि NDRF की टीम ने मुस्तैदी दिखाते हुए उन्हें पानी से बाहर निकला लिया था। लेकिन इस दौरान उनकी रीढ़ में काफी चोट आई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी। लेकिन बाढ़ पीड़ितों की चिंता में वह रात भर सो नहीं पाते थे। वह लगातार अपने मातहतों से बाढ़पीड़ितों की जानकारी लेते रहते और उन्हें दिशानिर्देशित करते रहते थे।

पत्नी के सहयोग से समाजसेवा के लिए रहते हैं तत्पर
सुरेन्द्र सिंह बताते हैं " मेरी पत्नी गरिमा मेरे साथ समाजसेवा के कार्यों में भरपूर रूचि लेती है। उनके सहयोग से ही मै अपने पद के दायित्वों के निर्वहन के बाद भी समाज में जरूरतमंदों के लिए समय निकाल लेता हूँ। मेरी 2 बेटियां भी हैं। डीएम के पद पर काफी सारी जिम्मेदारियां होती हैं, जिसमें कभी-कभी फैमिली और बच्चों के लिए भी टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है।"

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