Inside story: यूपी की ऐसी सीट जहां कभी नहीं खिला कमल, यहां चुनाव में दो परिवार के बीच होती है कांटे की टक्कर

 पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश स‍िंह के परिवार का बीते तीन दशक से विधायक की कुर्सी पर कब्जा है। कभी विनायकपुर , फिर लक्ष्मीपुर और वर्तमान में नौतनवा विधानसभा के रूप में पहचानी जाने वाली इस सीट पर अभी तक भाजपा की लहर भी काम नहीं आई है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 26, 2022 2:23 PM IST

अनुराग पाण्डेय
 गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के नौतनवा विधाना सभा में आज तक कमल नहीं खिल पाया है। बड़ी से बड़ी पार्टियां यहां प्रत्याशी उतारती जरूर हैं लेकिन यहां चुनाव में केवल दो परिवार के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है। पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश स‍िंह के परिवार का बीते तीन दशक से विधायक की कुर्सी पर कब्जा है। कभी विनायकपुर , फिर लक्ष्मीपुर और वर्तमान में नौतनवा विधानसभा के रूप में पहचानी जाने वाली इस सीट पर अभी तक भाजपा की लहर भी काम नहीं आई है। 

तब चर्चा में आई सीट
साल 1967 के चुनाव में जनसंघ के टिकट पर रघुराज स‍िंह यहां से विधायक बने थे। 1980 व 1985 में गोरखपुर के माफिया कहे जाने वाले वीरेंद्र प्रताप शाही ने निर्दल प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल कर इस सीट को चर्चा में ला दिया। बताया जाता है कि वीरेन्द्र प्रताप शाही ने ही इस सीट पर पहली अमरमणि त्रिपाठी का स्थापित किया था। जिसके बाद राजधानी में वीरेन्द्र प्रताप शाही की मोस्ट वांटेंट अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला ने हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही अमरमणि ने इस सीट पर अपनी अच्छी पकड़ बनाना शुरू की। वहीं दूसरी तरफ पूर्व सांसद अखिलेश सिंह पहले खुद विधायक बने फिर अपने भाई कौशल किशोर सिंह उर्फ मुन्ना सिंह को चुनाव जीताकर एमएलए की सीट पर बैठाया। दोनों ही परिवार की पकड़ दिल्ली तक अच्छी है। इसलिए जनता भी इनको पंसद करती है। इनके आगे किसी और नेता कहीं थोड़ा भी नहीं टिकते हैं। 

रोज बदल रहे समीकरण
नेपाल सीमा से सटे नौतनवा विधानसभा क्षेत्र में हर रोज समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में गठबंधन की राजनीति यहां सत्ता के खेल में शामिल हो गई है। अभी तक किसी दल ने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, लेकिन स्थानीय नेता अपने को संभावित प्रत्याशी मान कर चुनावी समर में कूद पड़े हैं। इस दौरान भाजपा व निषाद पार्टी के गठबंधन की चर्चा भी जोरों पर है। समझौते में इस सीट के निषाद पार्टी के खाते में जाने की बात बताई जा रही है।

गठबंधन में इस सीट को निषाद पार्टी को दिए जाने की चर्चा
बदली परिस्थितियों में निषाद पार्टी से टिकट के लिए दावेदारों की भीड़ बढ़ गई है। जानकारों की माने तो निर्दल विधायक अमनमणि त्रिपाठी भी निषाद पार्टी के संपर्क में हैं। टिकट को लेकर बात बनी तो इस बार लड़ाई दल बनाम निर्दल न होकर दो दलों के बीच रहेगी।

सबसे अधिक ब्राह्मण वोटर
नौतनवा विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां करीब सात लाख मतदाता हैं। जातीय समीकरणों पर गौर करें तो यहां सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं। मुस्लिम, निषाद,और पिछड़ी जाति के मतदाताओं की तादाद भी नौतनवा विधानसभा क्षेत्र में अच्छी खासी है। ये मतदाता भी इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।  बीते चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो इस क्षेत्र की सियासत बीते 33 वर्षों से दो परिवारों के बीच घूम रही है।

पिछले 8 चुनाव में बने विजेता

1989 अमरमणि त्रिपाठी भाकपा, कांग्रेस गठबंधन

1991 कुंवर अखिलेश स‍िंह सजपा

1993 कुंवर अखिलेश स‍िंह सपा

1996 अमर मणि त्रिपाठी कांग्रेस

2002 अमर मणि त्रिपाठी बीएसपी

2007 अमर मणि त्रिपाठी सपा

2012 कुंवर कौशल किशोर स‍िंह कांग्रेस

2017 अमन मणि त्रिपाठी निर्दल
 

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