Lakhimpur Voilence: SC से तीसरी बार UP सरकार को फटकार, कहा- एक आरोपी को बचाने के लिए सबूत इकट्ठे किए जा रहे?

लखीमपुर खीरी हिंसा (lakhimpur kheri case) मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार (UP government) को एक बार फिर फटकार लगी है। कोर्ट ने यूपी सरकार की जांच पर फिर असंतुष्टि जताई। कोर्ट ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं।

नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri violence case) में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार (UP government) को तीसरी बार फटकार मिली। चीफ जस्टिस एनवी रमना (C    JI NV Ramana), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant ) और जस्टिस हिमा कोहली (justice hima kohli) की बेंच ने UP सरकार की अब तक की जांच से असंतुष्टि जताई। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि एक आरोपी को बचाने के लिए दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि वह चाहते हैं कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आगे की जांच की निगरानी करें। कोर्ट ने साफ कहा कि  केस में दर्ज दोनों FIR में किसी तरह का घाल-मेल नहीं होना चाहिए। अब मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी।

कोर्ट का कहना था कि हमें यह कहते हुए दुख है कि दो FIR- 219 और 220 को ओवरलैप कर एक 'विशेष' आरोपी को लाभ दिया जा रहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- कहा जा रहा है कि एक FIR में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे। ऐसा एक आरोपी को बचाने के लिए हो रहा है। दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लखीमपुर में दो तरह की हत्याएं हुई हैं। पहली उन किसानों की, जिनको गाड़ी से कुचला गया। दूसरा उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं की, जिनको भीड़ ने मारा। सभी की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों घटनाओं के गवाहों से अलग-अलग पूछताछ होनी चाहिए। गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं जो मुख्य आरोपी के पक्ष में लगते हैं। सीजेआई ने दोनों FIR की अलग-अलग जांच करने के निर्देश दिए। 

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पहले पहचान करें, फिर बयान दर्ज करें
कोर्ट के सवाल किए जाने पर यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कोई आगे आता है और कहता है कि उसका बयान दर्ज किया जाए तो हमें वह करना होगा। उन्होंने कहा कि दोनों केसों की अलग-अलग जांच हो रही है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप कुछ लोगों की पहचान करने का प्रयास करें और फिर बयान दर्ज करें।

सीजेआई बोले- जांच में कुछ भी नया नहीं है..
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि हमने स्टेटस रिपोर्ट देखी है। इसमें कुछ भी नया नहीं है, हम जो उम्मीद कर रहे थे वैसे कुछ नहीं है। 10 दिन का समय दिया गया था। कोई प्रगति नहीं हुई। बस कुछ गवाहों के बयान हुए। लैब रिपोर्ट भी नहीं आई। फोन रिकॉर्ड का परीक्षण भी नहीं हुआ। इस पर यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि लैब ने 15 नवंबर तक रिपोर्ट देने को कहा है।

सीजेआई ने ये 5 सवाल किए 

SIT पर सवाल उठाए, रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराएं
कोर्ट ने मामले में गठित SIT पर भी सवाल उठाए। कोर्ट का कहना था कि इस मामले की जांच कर रही SIT अब तक दोनों FIR के बीच अंतर नहीं कर पा रही है। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को नियुक्त करना चाहते हैं, ताकि दोनों FIR के बीच अंतर हो पाए। कोर्ट ने पंजाब हाईकोर्ट के पूर्व जज रंजीत सिंह और राकेश कुमार का नाम सुझाया। इस पर अपना मत देने के लिए यूपी सरकार की तरफ से पेश हरीश साल्वे ने वक्त मांगा।

सीबीआई जांच की मांग पर ये कहा
CJI ने यूपी सरकार से पूछा कि मृतक श्याम सुंदर के मामले में हो रही जांच में लापरवाही पर क्या कहेंगे? सुनवाई के दौरान श्याम सुंदर की पत्नी के वकील ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को मामला सौंपना कोई हल नहीं है।

पिछली सुनवाई में ये निर्देश दिए थे
कोर्ट ने पिछली सुनवाई (26 अक्टूबर) में योगी सरकार को हिंसा के गवाहों को सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। इसके अलावा, कोर्ट ने हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और BJP नेता श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर भी अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। UP सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि 30 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए हैं। इनमें से 23 चश्मदीद गवाह हैं। कुछ बाकी का बयान होना है। इसके बाद बेंच ने पूछा था कि प्रदर्शन में हजारों किसान मौजूद थे और आपको सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह मिले? हरीश साल्वे ने कहा कि हमने सार्वजनिक विज्ञापन देकर यह मांगा है कि जो भी चश्मदीद हैं, वे सामने आएं। 

कोर्ट ने 20 अक्टूबर को ये कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्टूबर को भी सुनवाई की थी। UP सरकार के वकील हरीश साल्वे ने जांच की पहली रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा था-‘अगर आप आखिरी मिनट में रिपोर्ट देंगे तो हम कैसे पढ़ पाएंगे? कम से कम एक दिन पहले देनी चाहिए। अदालत ने यह भी पूछा कि इस मामले में UP सरकार ने बाकी गवाहों के बयान क्यों नहीं लिए? कोर्ट ने कहा कि आपने 44 में से अभी तक 4 गवाहों से ही पूछताछ की है, ऐसा क्यों? ऐसा लगता है कि UP पुलिस इस मामले की जांच से पीछे हट रही थी। इस छवि को सुधारिए। कोर्ट ने आगे कहा था कि आपकी SIT यह समझ सकती है कि सबसे कमजोर गवाह कौन-से हैं और उन पर हमला हो सकता है, तो फिर अभी तक सिर्फ 4 गवाहों के ही बयान दर्ज क्यों किए गए'?’

यह है मामला
बता दें कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटा आशीष मिश्र की गाड़ी ने सड़क पर चलते किसानों को कुचल दिया था, इसमें 4 किसानों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद नाराज भीड़ ने मंत्री के बेटे की गाड़ी फूंक दी थी। इसके साथ ही गाड़ी का ड्राइवर, दो भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। घटना में एक पत्रकार की भी जान गई थी। सरकार ने मृतक परिवारों को मुआवजा दिया है। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया था। वह अभी जेल में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस का स्वत: संज्ञान लिया था।

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