हार के बावजूद विधानसभा जाने की तैयारी में स्वामी, जानिए क्या है अखिलेश यादव का मास्टर प्लान

यूपी चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य को फाजिलनगर से हार का सामना करना पड़ा था। ज्ञात हो कि स्वामी अपनी पारंपरिक सीट पडरौना से विधायक थे। इसी के साथ वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। हालांकि चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर सपा की सदस्यता ली।

Asianet News Hindi | Published : Mar 14, 2022 5:37 AM IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janta Party) को बहुमत हासिल हुआ है। वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को इस चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा। पार्टी का मानना है कि चुनाव में इस वोट प्रतिशत के बढ़ने की वजह स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Parasad Maurya) समेत अन्य नेता हैं। जिसके चलते ही स्वामी के चुनाव हारने के बावजूद उन्हें विधानसभा भेजने का प्लान तैयार किया जा रहा है। 

रिपोर्टस के अनुसार समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य का सम्मान बरकरार रखने की तैयारी में है। इसके लिए अखिलेश यादव ने मास्टर प्लान तैयार किया है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे सकते हैं। वह आजमगढ़ से सांसद हैं और करहल से उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो जाएगी। वहीं विचार चल रहा है कि करहल सीट से स्वामी प्रसाद मौर्य को टिकट दिया जा सकता है। इसी को लेकर रविवार को स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के बीच मुलाकात भी हुई थी। 

फाजिलनगर से स्वामी को करना पड़ा था हार का सामना 
यूपी चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य को फाजिलनगर से हार का सामना करना पड़ा था। ज्ञात हो कि स्वामी अपनी पारंपरिक सीट पडरौना से विधायक थे। इसी के साथ वह योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। हालांकि चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर सपा की सदस्यता ली। इसके बाद वह कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से चुनाव में उतरे। चुनाव में स्वामी प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा। ज्ञात हो कि भाजपा में आने से पहले स्वामी बसपा के साथ में थे। 

हार के बाद खाली करवाया गया था स्वामी का बंगला 
यूपी चुनाव में हार के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कालिदास स्थित अपना बंगला खाली कर दिया था। चुनाव हारने के साथ ही वह गोमती नगर स्थित निजी आवास में शिफ्ट हो गए थे। चुनाव में हार के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि उन्हें जनता का जनादेश मंजूर है और वह हार को स्वीकार करते हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा था कि वह चुनाव भले ही हार गए हैं लेकिन हिम्मत और हौसला नहीं।  

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