उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सरोजिनी नगर विधानसभा सीट पर योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह के बीच चुनाव में भाजपा से टिकट को लेकर अंदरूनी जंग चल रही है। इस निजी कम चुनावी जंग के बीच दयाशंकर ने कहा है कि पार्टी जिसे टिकट देगी, उसे चुनाव लड़ाया जाएगा। लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि टिकट की इस लड़ाई में कोई तीसरा फायदा उठा सकता है।
दिव्या गौरव त्रिपाठी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनावी (UP Vidhansabha Chunav 2022) तैयारियों के बीच राजधानी लखनऊ की एक विधानसभा सीट ऐसी भी है, जहां दो भाजपा नेताओं के बीच टिकट के लिए अंदरूनी जंग छिड़ी है। जी हां! और इस चुनावी जंग में खास बात यह है कि ये नेता पति-पत्नी हैं। हम बात कर रहे हैं योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह (Swati Singh Minister) और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह (Dayashankar Singh BJP) की। चर्चा है कि लखनऊ की सरोजिनी नगर विधानसभा सीट (Sarojini Nagar Vidhansabha Seat) से दयाशंकर सिंह भी टिकट मांग रहे हैं। वर्तमान में दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह इस सीट से विधायक हैं और योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं।
सूत्रों की मानें तो सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से टिकट पाने के लिए दयाशंकर सिंह संगठन में जमकर जुगाड़ लगा रहे हैं। टिकट की घोषणा से पहले ही दयाशंकर ने इलाके में अपनी दावेदारी वाली होर्डिंगें और बैनर पोस्टर लगा दिए थे। बीते तीन महीने में दयाशंकर ने बाइक जुलूस, पैदल यात्राओं और जनसंपर्क अभियानों के माध्यम से इन अटकलों को हवा भी दी है। हालांकि मीडिया से बातचीत में दयाशंकर का कहना है कि पार्टी जिसे भी टिकट देगी, भाजपा के कार्यकर्ता के तौर पर वह उसे चुनाव लड़ाएंगे। लेकिन अंदरखाने से खबर है कि दयाशंकर चाहते हैं कि इसबार के चुनाव में उन्हें स्वाति सिंह की जगह पर टिकट मिले और वह भी विधानसभा पहुंचें।
राजभर के बयान ने भी अटकलों को हवा
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om prakash rajbhar) ने हाल ही में एक निजी चैनल से बातचीत में इन चुनावी लड़ाई को हवा दे दी थी। राजभर ने दावा किया था भाजपा नेता दयाशंकर सिंह उनसे टिकट मांगने आए थे। राजभर ने कहा था, 'दयाशंकर को अंदाजा है कि भाजपा उन्हें टिकट नहीं देगी, इसलिए वह अब हमारे (सपा-सुभासपा) टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।' दरअसल राजभर से दयाशंकर ने चाय पर मुलाकात की थी, जिसके बाद मीडिया ने उनसे इस मुलाकात के मायने पूछे थे। हालांकि राजभर से मुलाकात के बाद दयाशंकर सिंह ने कहा था कि हम एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं और यह अनौपचारिक मुलाकात थी।
दयाशंकर संग स्वाति के संबंधों पर भी होती हैं बातें
दयाशंकर के पारिवारिक करीबी बताते हैं कि स्वाति के साथ उनके निजी संबंध लंबे समय से खराब चल रहे थे। साल 2008 में स्वाति ने पति दयाशंकर के खिलाफ मारपीट की एफआईआर भी दर्ज कराई थी। हालांकि दोनों ने कभी इस झगड़े को सार्वजनिक मंच पर सामने नहीं आने दिया लेकिन दोनों का साथ न रहना भी कई तरह के सवाल खड़े करता है। इससे पहले स्वाति सिंह पर भाभी के साथ मारपीट करने, बिना तलाक लिए भाई की दूसरी शादी कराने और भाभी को घर से निकालने का आरोप लगा था। लखनऊ के आशियाना थाने में स्वाति के खिलाफ अपनी ही भाभी से मारपीट, गाली-गलौज और घरेलू हिंसा करने का मामला दर्ज हुआ था। स्वाति के खिलाफ मुकदमा उनके अपने सगे भाई की पत्नी आशा सिंह ने दर्ज कराया था। ये मामला करीब 11 साल पुराना है। 2008 में आशा सिंह ने लखनऊ के आशियाना थाने में अपनी ननद स्वाति के खिलाफ पति की दूसरी शादी कराने का मामला दर्ज कराया था।
जब अचानक सुर्खियों में आईं स्वाति सिंह
दरअसल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर कुछ असंसदीय कॉमेंट किया था। जिसके बाद बसपा कार्यकर्ताओं ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी की नेतृत्व में लखनऊ में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह और बेटी पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं थीं। इनके जवाब में स्वाति मैदान में आईं और महिला सम्मान के नाम पर मायावती सहित बसपा के 4 बड़े नेताओं के खिलाफ हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया। माया के खिलाफ जिस तरह से स्वाति मुखर हुईं, उससे भाजपा को एक संजीवनी मिलती दिखी। इसी का नतीजा था कि जिस सीट पर बसपा की जीत पक्की मानी जा रही थी वहां स्वाति ने बाजी पलटी और जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा ने स्वाति को मंत्री पद का तोहफा दिया।
पति-पत्नी के झगड़े में कहीं तीसरा ना मार ले बाजी
वरिष्ठ पत्रकार रूपेश मिश्रा कहते हैं कि सरोजनीनगर सीट पर स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच टिकट को लेकर जिस तरह के अंदरूनी विवाद की अटकलें लगाई जा रही हैं, उसका लाभ किसी तीसरे को भी मिल सकता है। रूपेश के मुताबिक, 'सरोजिनी नगर विधानसभा सीट पर कई भाजपा कार्यकर्ता टिकट की मांग कर रहे हैं। इसी सीट से जहां मंत्री महेन्द्र सिंह के टिकट मांगे जाने की चर्चा है तो वहीं पूर्व सीएम कल्याण सिंह के करीबी माने जाने वाले राजेश सिंह चौहान की भी मजबूत दावेदारी है।' स्थानीय कार्यकर्ताओं के मुताबिक, पार्षद रहे गोविंद पांडेय और रमाशंकर त्रिपाठी के अलावा 2013 में निर्दल पार्षद बनकर बीजेपी की सदस्यता लेने वाले सौरभ सिंह मोनू भी सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से टिकट का दावा कर रहे हैं। रूपेश कहते हैं कि इस माहौल में अगर दयाशंकर और स्वाति का अंदरूनी विवाद खुलकर सामने आ जाता है तो पार्टी यहां से किसी तीसरे को भी टिकट दे सकती है।
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