हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला- पत्नी बेवफा है या नहीं को साबित करने का सबसे वैध तरीका डीएनए टेस्ट

उच्च न्यायालय पहुंचने पर अदालत ने कहा कि बच्चे का पिता याचिकाकर्ता है या नहीं। इसे साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट सबसे बेहतर तरीका है। अदालत ने कहा कि डीएनए टेस्ट से यह बात भी साबित हो सकती है कि पत्नी बेवफा है या नहीं। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 19, 2020 12:14 PM IST

प्रयागराज (Uttar Prades) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पारिवारिक विवाद के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि डीएनए टेस्ट से यह साबित हो सकता है कि पत्नी बेवफा है या नहीं। पत्नी की बेवफाई जानने का सबसे वैध और वैज्ञानिक तरीका यह टेस्ट है। बता दें कि कोर्ट ने यह फैसला हमीरपुर के रहने वाले एक दंपति के मामले में बीते दिनों सुनाया है। जिनके बीच तलाक हो चुका है। लेकिन, तलाक के तीन साल बाद पत्नी ने मायके में बच्चे को जन्म दिया था। इसके बाद पत्नी ने दावा किया कि यह बच्चा उसके पति का है, जबकि पति ने पत्नी के साथ शारीरिक संबंध होने से मना किया है।

यह है पूरा मामला 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हमीरपुर निवासी राम आसरे ने दावा किया है कि 15 जनवरी 2013 से वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह रहा था। 25 जून 2014 को उनका तलाक हो गया था। पत्नी के साथ कोई संबंध नहीं था। तलाक के बाद से वो अपने मायके में रह रही है। 26 जनवरी 2016 को उसने एक बच्चे को जन्म दिया। 

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ऐसे कोर्ट पहुंचा था मामला
पति का कहना है कि यह बच्चा उसका नहीं है, जबकि पत्नी का कहना है कि बच्चा उसके पति का ही है। इसके बाद पति ने पारिवारिक अदालत में डीएनए टेस्ट के लिए अर्जी दाखिल की थी,जो खारिज हो गई। फिर उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

डीएनए टेस्ट है सबसे बेहतर तरीका
उच्च न्यायालय पहुंचने पर अदालत ने कहा कि बच्चे का पिता याचिकाकर्ता है या नहीं। इसे साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट सबसे बेहतर तरीका है। अदालत ने कहा कि डीएनए टेस्ट से यह बात भी साबित हो सकती है कि पत्नी बेवफा है या नहीं। 
 

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