यूपी के सांसद की पत्नी ने क्यों दो छोटे बच्चों के साथ जान देने की दी है धमकी?

सांसद बनने के बाद अतुल राय कोर्ट में हाजिर हो गए। तभी से वह जेल में हैं। हालांकि, सीओ द्वारा इस केस की विवेचना में रेप का दर्ज कराया गया केस द्वेष का मामला प्रतीत होना बताया गया है। 

लखनऊ। दो साल से जेल में बंद घोसी के सांसद अतुल राय को न्याय के लिए उनकी पत्नी प्रियंका सिंह ने मोर्चा खोल दिया है। सांसद की पत्नी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जांच रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई सांसद पति को न्याय देने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि पुलिस की जांच में उनके पति निर्दाेष साबित हो चुके हैं लेकिन उनकी रिहाई जेल से नहीं हो पा रही है। 

सांसद की पत्नी ने कहा कि पति अभी अपने छोटे छोटे बच्चों का मुंह तक नहीं देख पाए हैं। ससुर कैंसर से पीडि़त हैं। पूरा परिवार एक झूठे मुकदमें की वजह से बर्बाद हो चुका है। दो साल से जांच रिपोर्ट फाइल में दबी है लेकिन उनके पति को रिहा नहीं किया जा रहा है। 

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क्या है मामला?

अतुल राय 2019 में घोसी लोकसभा सीट से सांसद बने थे। चुनाव के दौरान ही एक युवती ने उन पर रेप का केस दर्ज कराया था। रेप केस दर्ज होने के बाद अतुल राय पूरे चुनाव के दौरान क्षेत्र से गायब रहे। पुलिस उनको ढूंढती रही। इसी बीच वह चुनाव जीतकर सांसद बन गए। 

सांसद बनने के बाद अतुल राय कोर्ट में हाजिर हो गए। तभी से वह जेल में हैं। हालांकि, सीओ द्वारा इस केस की विवेचना में रेप का दर्ज कराया गया केस द्वेष का मामला प्रतीत होना बताया गया है। यही नहीं मोबाइल पर बातचीत के रिकार्ड्स के आधार पुलिस ने साफ किया है कि चुनाव को प्रभावित करने के लिए विरोधियों ने उन पर केस दर्ज कराया था। पुलिस विवेचना की रिपोर्ट अगस्त 2020 में ही सबमिट कर दी गई। पुलिस ने नए सिरे से दुबारा विवेचना की, इसमें भी आरोप संदिग्ध प्रतीत हुए।

सांसद अतुल राय के प्रतिनिधि गोपाल राय बताते हैं कि दो दो वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच कर सारे तथ्यों की पड़ताल की है। तथ्यों और सबूतों के आधार पर रिपोर्ट भी लगाई जा चुकी है। वह बताते हैं कि 173/8 सीआरपीसी की एक धारा होती है, जिसमें फैसले के एक दिन पहले भी अगर कोई नया तथ्य आता है तो उसकी अग्रिम विवेचना होनी चाहिये। सांसद के पिता ने इस धारा के तहत तमाम साइंटिफिक एवीडेंस तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी को उपलब्ध कराए। उन्होंने इन सबूतों की जांच सीओ और एसपी सिटी से अलग अलग करायी। दोनो ही अधिकारियों ने गम्भीर साजिश की बात को स्वीकार कर के अग्रिम विवेचना की कार्यवाही की संस्तुति की लेकिन अभी तक 9 महीने बीत जाने के बाद भी इस पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। 

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