यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट पर आज तक किसी महिला उम्मीदवार और शाक्य उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है। लेकिन इस बार मैनपुरी इतिहास लिखने जा रहा है। जहां एक ओर सपा से डिंपल यादव मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी से शाक्य प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।
मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में समाजवदी पार्टी और भाजपा में सियासी घमासान मचा हुआ है। एक ओर जहां सपा प्रत्याशी और नेताजी की बहू डिंपल यादव मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर खुद को नेताजी का चेला बताने वाले और बीजेपी प्रत्याशी रघुराज शाक्य मैदान में उतरे हैं। इन दोनों प्रत्याशियों में जीत चाहे जिस पार्टी के उम्मीदवार की हो, लेकिन इस बाद मैनपुरी इतिहास लिखेगा। बता दें कि अभी तक हुए 19 लोकसभा चुनाव में किसी भी महिला प्रत्याशी या किसी भी शाक्य हो जीत नहीं मिली है।
सपा का अजेय किला है मैनपुरी
सबसे पहले कांग्रेस ने मैनपुरी सीट को जीता था। इसके बाद समय बदला तो क्षेत्रीय दलों के खाते में भी सीट आती-जाती रही। वहीं वर्ष 1996 के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से चुनाव लड़ा था। उसके बाद से आज तक मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा बना रहा। यादव परिवार ने हमेशा मैनपुरी को अजेय रखा। कुल 19 चुनावों में से नौ में बसपा और भाजपा ने 10 शाक्य प्रत्याशी उतारे। बता दें कि इस लोकसभा क्षेत्र में संख्याबल में शाक्य दूसरे स्थान पर हैं। लेकिन इसके बाद भी शाक्य उम्मीदवार को हमेशा यहां से हार का सामना करना पड़ा है।
टूट जाएगी दशकों से चली आ रही रीति
इसी तरह तीन चुनावों में 4 बार महिला प्रत्याशी भी मैदान में उतरी थीं। लेकिन जीत हासिल करना इनके लिए भी मुश्किल रहा। वहीं 2004 के उपचुनाव में सुमन चौहान ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद वर्ष 2009 में तृप्ति शाक्य ने भाजपा की तरफ से मैदान में उतरी थीं और बसपा की ओर से डॉ. संघमित्रा मौर्या और निर्दलीय प्रत्याशी राजेश्वरी देवी ने चुनाव लड़ा था। वहीं इस बार 2022 के उपचुनाव में दशकों से चली आ रही एक रीति टूट जाएगी। क्योंकि अगर समाजवादी पार्टी से डिंपल यादव की जीत होती है तो महिला उम्मीदवार के नहीं जीतने की रीति टूट जाएगी। वहीं अगर रघुराज शाक्य चुनाव जीतते हैं तो शाक्य प्रत्याशी के ना जीतने की रीति टूट जाएगी। फिलहाल भाजपा और सपा दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
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