दिल्ली एक्स में इलाज करा रही उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता ने गुरुवार को मीडिया के सामने बयान दिया।
लखनऊ. दिल्ली एक्स में इलाज करा रही उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता ने गुरुवार को मीडिया के सामने बयान दिया। उसने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उसे जान से मारने की कोशिश की। एक्सीडेंट की साजिश विधायक ने ही रची थी। बता दें, पीड़िता का बीते 28 जुलाई को रायबरेली में एक्सीडेंट हो गया था। एक ट्रक ने इसकी कार में जोरदार टक्कर मारी थी, जिसमें पीड़िता की मौसी-चाची की मौत हो गई थी, जबकि उसके वकील को गंभीर चोटें आईं थीं। उनका इलाज लखनऊ में चल रहा है। पीड़िता की हालत गंभीर होने की वजह से इसे दिल्ली एम्स शिफ्ट कर दिया गया था।
पीड़िता ने दिया ये बयान
पीड़िता ने एक्सीडेंट को अपनी हत्या की साजिश बताया। उनसे कहा, कुलदीप ने ही रायबरेली हाइवे पर हुए ऐक्सिडेंट में मुझे मारने की साजिश रची थी। इस बात पर कोई शक नहीं है। मैंने देखा कि ट्रक हमारी कार को रौंदने के लिए सीधा हमारी तरफ आ रहा था। मेरे वकील जो गाड़ी चला रहे थे उन्होंने कार को बैक करने की कोशिश की, ताकि बचा जा सके। लेकिन उससे पहले ट्रक कार को टक्कर मार चुका था। सेंगर भले ही जेल में बंद हो, लेकिन कैद में रहकर भी वो किसी भी हद तक जा सकता है। सेंगर का साथी उन्नाव कोर्ट परिसर में हमेशा उसे जान से मारने की धमकी देता था। उस शख्स की मां भी दुष्कर्म मामले में आरोपी है। वह केस वापस लेने के लिए कहता था।
तिहाड़ जेल में बंद है सेंगर
बता दें, 2017 में उन्नाव की रहने वाली पीड़िता ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व उनके भाईयों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। 9 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता की उन्नाव में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इस कथित हत्या मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट कुलदीप, उनके भाई अतुल सेंगर, उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन कर्मियों और पांच अन्य लोगों पर पहले ही आरोप तय कर चुकी है। बीते 9 अगस्त को कोर्ट ने कहा था कि विधायक के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जिससे तय होता है कि उन्होंने दुष्कर्म किया था। कोर्ट ने विधायक सेंगर पर आईपीसी की धारा 120 बी, 363, 366, 109, 376 (आई) और पॉक्सो एक्ट तीन और चार के तहत आरोप तय किए थे। वर्तमान में विधायक तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सीबीआई को मिला 2 हफ्ते में जांच पूरा करने का समय
सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुए एक्सीडेंट मामले की जांच को पूरा करने के लिए सीबीआई को दो सप्ताह और समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर निचली अदालत के जज, जो इस मामले की सुनवाई कर रहे है, वो 45 दिनों में ट्रॉयल पूरा करने की सीमा को बढ़ाना चाहते हैं, तो वो कोर्ट को बता सकते हैं। कोर्ट ने एम्स में पीड़िता के लिए अस्थाई कोर्ट बनाने की बात कही है। इससे पहले 19 अगस्त को अदालत ने सीबीआई को जांच पूरा करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया था। कोर्ट ने एक अगस्त को पीड़िता के साथ हुए हादसे की जांच 14 दिन में पूरी करने का आदेश दिया था। सीबीआई की 20 सदस्यीय टीम मामले की जांच कर रही है।