इन विद्यालयों की मान्यता समाप्त करने की तैयारी में है यूपी बोर्ड, जानिए क्या है पूरा प्लान

यूपी बोर्ड गलत डाटा फीडिंग वाले विद्यालयों को चिन्हित किया जा रहा है। इन विद्यालयों के खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी चल रही है। इन दोषी वित्तविहीन विद्यालयों को पुनः परीक्षा केंद्र न बनाए जाने को लेकर भी विचार किया जा रहा है। 

Pankaj Kumar | Published : Mar 29, 2022 7:05 AM IST / Updated: Mar 29 2022, 01:27 PM IST

लखनऊ: माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल व इंटरमीडियट की परीक्षाएं जारी हैं। परीक्षा में नकल पर अंकुश लगाने के लिए शासन की ओर से विशेष तैयारी की गई है। इसके लिए पहली बार परीक्षा केंद्रो पर केंद्र व्यवस्थापक, अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक, कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी की ड्यूटी ऑनलाइन साफ्टवेयर के माध्यम से लगाई गई हैं। हालांकि इस व्यवस्था को वित्तविहीन विद्यालयों ने फेल करने का प्रयास किया है। इन विद्यालयों ने यूपी बोर्ड के पोर्टल पर त्रुटिपूर्ण डाटा फीड किया। जिसके बाद अब इन विद्यालयों पर नकेल कसने की तैयारी की जा रही है। इन विद्यालयों का मान्यता छीनने की तैयारी हो रही है। 

अनुचित साधन के प्रयोग पर अंकुश लगाने के लिए सरकार कटिबद्ध 
अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा अराधना शुक्ला ने इसको लेकर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में अनुचित साधन के प्रयोग की प्रवृत्ति या संभावना पर अंकुश लगाने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है। यह काम परीक्षाओं की शुचिता व विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए किया जा रहा है।

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ड्यूटी लगाए जाने में विसंगति आई है सामने 
अराधना शुक्ला ने कहा कि परीक्षा केंद्र पर केंद्र व्यवस्थापक और अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक के साथ ही कक्ष निरीक्षकों की ड्यूटी भी ऑनलाइन साफ्टवेयर के माध्यम से लगाई गई है। हालांकि इसमें कुछ त्रुटियां सामने आई हैं। शासन स्तर पर जब इसकी समीक्षा व निदेशालय स्तर पर अधिकारियों के पर्यवेक्षण में यह सामने आया है। पता लगता कि वित्तविहीन विद्यालयों ने शिक्षकों का त्रुटिपूर्ण डाटा साफ्टवेयर से फीड करवाया। यहां ड्यूटी लगाए जाने पर विसंगति सामने आई। वहीं कई विद्यालयों के द्वारा शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने के बाद भी उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया। 

दोषी विद्यालयों पर एक्शन की है तैयारी 
अपर मुख्य सचिव के द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि इस प्रकरण की समीक्षा की जाए। इसी के साथ दोषी वित्तविहीन विद्यालयों को दोबारा परीक्षा केंद्र न बनाए जाने को लेकर भी विचार किया जाएगा। यहां तक कहा जा रहा है कि इनके खिलाफ मान्यता प्रत्याहरण तक की कार्यवाही को अमल में लाया जाए। 

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