Inside Story: अयोध्या सदर की पिच पर 31 साल में एक बार बोल्ड हुई BJP, क्या इस बार सही फील्डिंग लगा पाया विपक्ष

Published : Feb 08, 2022, 05:15 PM ISTUpdated : Feb 09, 2022, 11:31 AM IST
Inside Story: अयोध्या सदर की पिच पर 31 साल में एक बार बोल्ड हुई BJP, क्या इस बार सही फील्डिंग लगा पाया विपक्ष

सार

विधानसभा चुनाव में अयोध्या सदर की सीट हमेशा से भारतीय जनता पार्टी के खाते में जाती रही है। क्षेत्र में बीजेपी की फील्डिंग इतनी मजबूत है कि 31 साल में केवल एक बार ही बोल्ड हुई है। राम मंदिर आंदोलन के समय से बीजेपी ने यहां ऐसा स्टंप गाड़ा कि विपक्षी टीम खिलाड़ियों को बोल्ड करने में हाँफती रही है।

अनुराग शुक्ला

अयोध्या: विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Election) में अयोध्या सदर (Ayodhya Sadar) की सीट हमेशा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में जाती रही है। क्षेत्र में बीजेपी की फील्डिंग इतनी मजबूत है कि 31 साल में केवल एक बार ही बोल्ड हुई है। राम मंदिर आंदोलन के समय से बीजेपी ने यहां ऐसा स्टंप गाड़ा कि विपक्षी टीम खिलाड़ियों को बोल्ड करने में हाँफती रही है। इस बार भी विपक्ष के लिए चुनौतियां कम नहीं है। रामनगरी की धरती की खास बात है कि प्रत्याशी से नाराजगी वोट की तारीख नजदीक आते-आते कम होने लगती है। अंत में अयोध्या की इज्जत बचाने का हवाला देकर पार्टी कमल के चुनाव चिन्ह पर वोट डलवाने में कामयाब हो जाती है। 

1991 से अब तक हुए 7 चुनाव सिर्फ एक बार दौड़ी साइकिल
जिले की 5 विधानसभा सीटों में से अयोध्या सदर हमेशा से सुर्खियों में रही है। राममंदिर की लहर के बाद 1991 से अब तक कुछ कुलमिलाकर 7 बार चुनाव हो चुके है। जिसमें 6 बार कमल खिला और केवल एक बार साइकिल दौड़ी है। काफी जद्दोजहद करने के बाद 2012 में विपक्ष यानी समाजवादी पार्टी ने यहां से जीत का स्वाद चखा। इसका संदेश पूरे भारत में गया कि बीजेपी अपने गढ़ को भी नही बचा पाई। इसी के बाद अन्य पार्टियों को लगा कि यहां का किला भेदना इतना मुश्किल नही है। जितना समझा जाता रहा है लेकिन बीजेपी ने 2017 का चुनाव जीत कर लोगों अपने होने का एहसास फिर से करा दिया।

1989 के चुनाव तक कांग्रेस और अन्य दलों की थी यह सीट
1989 के चुनाव तक यह सीट कांग्रेस व अन्य दलों के खाते में जाती रही है। लेकिन 1990 से 91 के दौरान चले राम मंदिर आंदोलन ने भाजपा को ना सिर्फ संजीवनी प्रदान की बल्कि अयोध्या को राजनीति की ऊर्जा स्थली के साथ-साथ भाजपा के गढ़ के रूप में तब्दील कर दिया। अयोध्या विधानसभा 1976 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले यह फैजाबाद विधानसभा सीट (Faizabad Assembly Seat) का हिस्सा थी। पहले तो चुनाव में इस सीट पर जनसंघ का कब्जा रहा, तो 1977 से 1989 के बीच दो बार कांग्रेस का दो बार अन्य दलों को विजय मिली। 1991 से इस सीट भाजपा का कमल खिलता रहा और राम नगरी भाजपा के गढ़ के रूप में विख्यात हो गई। 2012 के चुनाव में चुनावी समीकरण सपा के पक्ष में चला गया और युवा सपा नेता तेज नारायण पांडे जो की पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे थे उन्होंने दिग्गज नेता लल्लू सिंह को हराकर भाजपा का गुरुर तोड़ने का काम किया था।

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