Inside Story: पीलीभीत के हजारों लोग जो निवासी तो हैं पर वोटर नहीं, जानिए क्या है माजरा

Published : Feb 21, 2022, 02:26 PM IST
Inside Story: पीलीभीत के हजारों लोग जो निवासी तो हैं पर वोटर नहीं, जानिए क्या है माजरा

सार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पीलीभीत के बंगाली लोगों के वोटर न होने का मामला फिर से सुर्खियों में है। यह लोग 50 हजार से ज्यादा हैं, जो यहां रह तो वर्षों से रहे हैं लेकिन वोट डालने के अधिकार से वंचित है। ये सब भारत-बांग्लादेश बंटवारे के वक्त पीलीभीत में बसाए गए थे।

राजीव शर्मा

पीलीभीत: बरेली मंडल के पीलीभीत जिले में यूपी विधानसभा चुनाव के लिए 23 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए चुनावी सरगर्मियों जोरों पर चल रही हैं। लेकिन इस जिले में 18 से अधिक आयु वर्ग के ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है, जो लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपने मत की भागीदारी नहीं कर पाएंगे। ये हैं- जिले की बंगाली बस्तियों में रहने वाले हजारों लोग, जिनके दादा-पिता भी दशकों से यहां रह रहे हैं लेकिन उनको नागरिकता अब तक नहीं मिल सकी है। भारतीय नागरिकता के अभाव में इनके वोटर नहीं बन पा रहे हैं। इस चुनाव में भी उनके वोटर न होने का मामला उठा है लेकिन समाधान नहीं निकल सका है।  

इंदिरा गांधी सरकार ने बसाया था इनको
भारत-बांग्लादेश बंटवारे के बाद पीलीभीत जिले में हजारों बंगाली परिवारों को इंदिरा गांधी सरकार ने आवासीय व कृषि भूमि देकर बसाया था। ऐसे बंगाली परिवारों की संख्या अब कई लाख हो चुकी है। ये लोग 1955 से 1970 के बीच इस इलाके में केंद्र सरकार की उपनिवेशन योजना के तहत 18 राज्यों में विभिन्न स्थानों पर बसाए गए थे। पीलीभीत जनपद के रामनगरा, बूंदीभूड, नौजलिया, पुरैना, चूका बाजार, मटैया लालपुर, रामकोट, पीलीभीत के न्यूरिया कॉलोनी आदि क्षेत्रों में काफी संख्या में बंगाली परिवार बसते हैं। 

इनमें मतदान का अधिकार सिर्फ उन्हीं परिवारों को मिला था, जो उस समय यहां बसाए गए थे। लेकिन बाद में जो लोग यहां आए, उनको नागरिकता और मतदान के अधिकार से वंचित रखा गया है। सरकार की ओर से उस समय 3, 5 व 8 एकड़ तक जमीन एक परिवार को देकर लोगों को बसाया गया था। पीलीभीत के अलावा उत्तर प्रदेश के 13 जनपद जैसे- बदायूं, लखीमपुर, बहराइच, कानपुर, मेरठ, रामपुर व बिजनौर शामिल है, जिनमें इन लोगों को बसाया गया था। जिन लोगों को बताया गया था, उनके सगे संबंधी भी बाद में यहां आते गए। जो बाद में आए उन्हें नागरिकता प्रमाण पत्र न होने के कारण न तो नागरिकता मिली और न ही वोट देने का हक, तब से ही ये लोग इस अधिकार से वंचित हैं।

मतदान के अलावा मिल रहीं बाकी सभी सुविधाएं
हैरत की बात तो यह है कि इन बंगाली परिवारों को भले ही नागरिकता व मतदान का अधिकार नहीं मिला है। लेकिन इनके पास सरकार की खाद्यान्न योजना के राशन कार्ड हैं, जिसके जरिए ये लोग प्रतिमाह 10 किलो प्रति यूनिट राशन प्राप्त कर रहे हैं। तहसील से आय, जाति व निवास के प्रमाण पत्र भी इन लोगों के जारी हो रहे हैं। सरकार की आवास योजना हो अथवा नि:शुल्क शौचालय की योजना, लगभग सभी योजनाओं का लाभ ये परिवार उठा रहे हैं। लेकिन इन्हें दरकार है वोटर कार्ड का, ताकि ये लोग भी मुख्यधारा से जुड़ सकें और अपना वोट करके अपनी मर्जी का विधायक, सांसद व सरकार चुन सकें।

बंगाली समाज के जिले में 55 हजार से अधिक वोट
बंगाली समाज की आबादी पीलीभीत जिले में लाखों की संख्या में है। लेकिन इनमें सिर्फ 55 हजार ही वोटर हैं। इनमें सर्वाधिक 32 हजार मतदाता बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में हैं। पूरनपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 हजार और पीलीभीत सदर विधानसभा क्षेत्र में इस समाज के ढाई हजार से अधिक वोट हैं। अगर इन सभी वंचित लोगों के वोट बन जाते हैं तो इनकी संख्या सवा से डेढ़ लाख के बीच पहुंच जाएगी। मोटे अनुमान के अनुसार लगभग एक लाख मतदाताओं के वोट नहीं बन पा रहे हैं।

वादे बहुतों ने किए लेकिन नहीं दिला सके नागरिकता
बंगाली समाज के लोगों को प्रत्येक चुनाव में मतदान का अधिकार दिलाने का आश्वासन मिलता है। तमाम प्रत्याशी व स्टार प्रचारक वादों की घुट्टी इन लोगों को पिलाकर जाते हैं। लेकिन उसके बाद पांच साल तक कोई इधर नहीं देखता। देश के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी जब केंद्र सरकार में गृह मंत्री थे, तो उन्होंने पूरनपुर क्षेत्र में चुनावी जनसभा में मतदान का हक दिलाने का वादा यहां के लोगों से किया था। केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज भी बंगाली भाषा में भाषण देकर इन लोगों को लुभाने आईं थीं और हक दिलाने का वादा किया था लेकिन पूरा नहीं हुआ। 

बंगाली समाज के कई अन्य नेता भी यहां समय-समय पर पहुंचे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बहन भी इस क्षेत्र के लोगों को आकर्षित करने पहुंचीं थीं। लेकिन मतदान का हक फिलहाल कोई नहीं दिला पाया। इस बार भी पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर की जनसभाएं बंगाली कालोनियों में आयोजित की गईं। उन्होंने भी तमाम वादे किए लेकिन हुआ कुछ नहीं। हालांकि अपनी घोषणा के तहत पिछले वर्ष भाजपा सरकार ने बरेली के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में इनको जमीन पर हक दिलाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया था। कमेटी की बैठक चंदिया हजारा में आयोजित की गई थी लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सकता है।

Inside Story: खुद को भ्रष्टाचारी बताकर मांग रहा वोट निर्दलीय प्रत्याशी, समझिए क्या है पूरा मामला

PREV

उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

UP में डबल मर्डर: गर्लफ्रेंड को खुश करने के लिए बुआ और मां को मार डाला
सीमा हैदर का छठा बच्चा! 7वें महीने की प्रेग्नेंट हैं सीमा, फरवरी में दे सकती हैं जन्म