3 जून 2021 को बसपा ने अपने दोनों दिग्गज नेताओं रामअचल राजभर और लालजी वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। यूपी में हुए पंचायत चुनाव के दौरान दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा था।
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले दल-बदल का सिलसिला जारी है। सूबे की सियासत में हर दिन कुछ अलग देखने को मिल रहा है। कभी बहुजन समाज पार्टी (BSP) के शिल्पकार कहे जाने वाला रामअचल राजभर (Ram Achal Rajbhar) और पूर्व नेता लालजी वर्मा (Lalji Verma) ने साइकिल की सवारी कर ली है। रविवार को अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) में आयोजित 'जनादेश महारैली' के दौरान सपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की मौजूदगी में दोनों नेताओं ने समाजवादी पार्टी (SP) की सदस्यता ग्रहण की।
बसपा ने दिखाया था बाहर रास्ता
बता दें कि 3 जून 2021 को बसपा ने अपने दोनों दिग्गज नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। यूपी में हुए पंचायत चुनाव के दौरान दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा था। बसपा से निष्कासित होने के बाद लालजी वर्मा और रामअचल राजभर ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने जिले में जनादेश रैली के जरिए समाजवादी पार्टी में शामिल होने की बात कही थी। दोनों नेताओं के न्योते पर ही अखिलेश यादव रविवार को जिला मुख्यालय पर स्थित भानमती स्मारक पीजी कॉलेज में जनादेश रैली को संबोधित करने पहुंचे थे।
बसपा के शिल्पकार कहे जाते थे राजभर
राम अचल राजभर को बसपा संगठन के शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। रामअचल राजभर, अकबरपुर से पांच बार विधायक चुने गए हैं। बहुजन समाज पार्टी में उनका कद इतना बड़ा था कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनके सिर पर राष्ट्रीय महासचिव का ताज भी रख दिया था। यही नहीं उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों के कोऑर्डिनेटर रहने वाले रामअचल को मायावती (Mayawati) ने अपने हर मंत्रिमंडल में जगह दी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी। रामअचल राजभर कांशीराम (Kanshi Ram) के समय से ही बहुजन समाज पार्टी से जुड़े थे।
बसपा से क्यों हुए बाहर
रामअचल राजभर पर आरोप है कि जिला पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के कई अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ अपने समर्थकों को चुनाव में उतार दिया। इसी कारण से पार्टी को अपेक्षा के अनुसार जीत नहीं मिली। इससे पहले भी रामअचल राजभर के ऊपर पार्टी में कई गंभीर आरोप लगे थे लेकिन तब उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
लालजी वर्मा का भी रसूख बड़ा है
बसपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव और विधानसभा में विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा मौजूदा समय में अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा से विधायक हैं। लालजी वर्मा भी रामअचल राजभर की तरह बसपा के हर सरकार में मंत्री रहे हैं। इसके अलावा बसपा सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। बसपा से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की पृष्ठभूमि जिला पंचायत चुनाव के दौरान बननी शुरू हुई। सबसे पहले पार्टी से जिला पंचायत सदस्य चुनाव का टिकट मिलने के बाद भी उनकी पत्नी शोभावती ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और उसके बाद रही सही कसर लालजी वर्मा ने पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध अपने करीबी को चुनावी मैदान में निर्दलीय उतार कर कर दिया था।
मायावती का सपा पर तंज
वहीं दोनों नेताओं के सपा में शामिल होने के घंटे भर के भीतर ही मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी से निष्कासित लोगों को शामिल करले से समाजवादी पार्टी का जनाधार नहीं बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को ट्वीट कर लिखा कि BSP और अन्य विरोधी पार्टियों के भी निष्कासित किए गए लोगों को SP में शामिल किये जाने से इस पार्टी का कुनबा व जनाधार आदि बढ़ने वाला नहीं है, बल्कि इससे यह और भी घटता व कमजोर होता चला जाएगा। मायावती ने कहा कि SP को यह मालूम होना चाहिए कि ऐसे स्वार्थी व दलबदलू किस्म के लोगों को लेने से, इनकी खुद की अपनी पार्टी में टिकटार्थी लोग अब बहुत गुस्से में हैं, जो अधिकांश BSP के संपर्क में हैं। वैसे भी वे चुनाव में अंदर-अंदर इस पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
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