Asianet News Mood of Voters Survey: योगी-अखिलेश या माया...किसके कार्यकाल में हुआ सबसे ज्यादा करप्शन

Asianet News ने राज्य में चुनाव से सात महीने पहले मतदाताओं की नब्ज को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के छह क्षेत्रों - कानपुर बुंदेलखंड, अवध, पश्चिम, बृज, काशी और गोरखपुर में पहला सर्वेक्षण किया है।
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 18, 2021 1:42 PM IST

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 में अभी सात महीने का समय है। लेकिन राज्य का सियासी पारा अभी से चढ़ता जा रहा है। बीजेपी यूपी की सत्ता को बरकरार रखने के साथ 2017 का इतिहास दोहराना चाहती है, उधर विपक्ष हर तरह से किलेबंदी कर मौजूदा सरकार को मात देने में जुटा हुआ है। इलेक्शन 2022 को लेकर क्या है उत्तर प्रदेश की जनता का मूड? कौन सा मुद्दा इस बार तय करेगा यूपी का भविष्य? Asianet News ने 27 जुलाई से 02 अगस्त 2021 के बीच जन की बात द्वारा लोगों का मूड जानने के लिए यूपी को 6 जोन (कानपुर बुंदेलखंड, अवध, पश्चिम, बृज, काशी और गोरखपुर) में बांटकर सर्वे कराया। सर्वे में उत्तर प्रदेश के वोटर्स से योगी सरकार, अखिलेश, मायावती के साथ-साथ और भी कई सवाल पूछा गया। वोटर्स के जवाब के आधार पर कैसा रहने वाला है 2022 का चुनाव, इसकी पूरी पिक्चर सामने आई है। आइए जानते है क्या है इस बार यूपी के वोटर्स का मूड? यहां करप्शन हमेशा से ही एक प्रमुख मुद्दा रहा है। लेकिन 2017 के बाद स्थितियां बदली है। लोग इस मुद्दे पर योगी सरकार को अन्य सरकारों से बेहतर मान रहे हैं। 

तीन बार से लगातार बदल रहा जनता का मूड

यूपी के लिए करप्शन एक प्रमुख मुद्दा है। यहां के बसपा, सपा और बीजेपी की सरकारों को बारी-बारी से जनता आजमा चुकी है। 2007 में यूपी ने बसपा की मायावती सरकार को जनादेश दिया था। लेकिन यह सरकार कई घोटालों की वजह से सुर्खियों में रही। एनआरएचएम घोटाला, ताज कॉरिडोर घोटाला, स्मारक घोटाला और 21 चीनी मिलों को बेचने के घोटाले में माया सरकार के मंत्रियों के नाम खूब उछले।

जनता ने पांच साल बाद हुए चुनाव में माया सरकार को नकारते हुए सपा के युवा चेहरे अखिलेश यादव पर भरोसा कर 2012 में सत्ता की चाबी सौंपी। लेकिन पांच साल बीतते बीतते अखिलेश सरकार पर भी कई दाग लगे। खनन घोटाले में सपा सरकार को काफी बदनामी झेलनी पड़ी। मुख्य आरोपी खनन मंत्री गायत्री प्रजापति रहे। सपा के कई मंत्रियों पर विभिन्न घोटालों में नाम सामने आए। समाजवादी परिवार पर भी घोटालों की आंच पहुंची तो जनता ने 2017 में सपा को नकारते हुए बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाई। 

सर्वे में करप्शन पर क्या है यूपी के मतदाताओं के मन में?

सर्वे में शामिल 48 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार में सबसे ज्यादा था। जबकि 28 प्रतिशत लोगों ने कहा- योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार में भी भ्रष्टाचार है। वहीं, 24 प्रतिशत का मानना है कि मायावती की सरकार में बाकियों से कम करप्शन था।

अलग-अलग क्षेत्र में करप्शन पर क्या है जनता का कहना?

गोरक्ष क्षेत्र: जन की बात ने सर्वे में पाया कि गोरक्ष क्षेत्र में 43 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अखिलेश सरकार में सबसे अधिक करप्शन रहा। जबकि 32 प्रतिशत का मानना है कि योगी सरकार में करप्शन बढ़ा है। मायावती सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा यह मानने वालों का प्रतिशत 20 प्रतिशत है। 

ब्रज क्षेत्र: सर्वे में शामिल 43 प्रतिशत ने माना कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में सबसे अधिक भ्रष्टाचार रहा। जबकि 42 प्रतिशत का मानना है कि मायावती के शासनकाल में सबसे अधिक भ्रष्टाचार रहा है। वहीं, 14 प्रतिशत ने योगी के कार्यकाल में सबसे अधिक भ्रष्टाचार बताया है। 

पश्चिमी यूपी: वेस्ट यूपी में सर्वे में शामिल 38 प्रतिशत ने योगी सरकार को सबसे अधिक भ्रष्ट बताया है। जबकि 37 प्रतिशत ने अखिलेश सरकार को सबसे अधिक करप्ट कहा है। यहां 17 प्रतिशत ने मायावती सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार बताया है। 

अवध क्षेत्र: सर्वे के अनुसार यहां के 64 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव की सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार हुआ है। जबकि 32 प्रतिशत लोगों ने योगी आदित्यनाथ सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार की बात कही है। अवध क्षेत्र में महज चार प्रतिशत लोगों का मानना है कि मायावती सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार रहा है। 

काशी क्षेत्र: काशी क्षेत्र के लोगों में 47 प्रतिशत का मानना है कि अखिलेश यादव की सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार था। 35 प्रतिशत का मानना है कि मायावती के कार्यकाल में सबसे अधिक करप्शन था। जबकि 17 प्रतिशत लोग योगी आदित्यनाथ की सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार की बात कहे हैं। 

कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र: इस क्षेत्र में 48 प्रतिशत लोगों का मानना है कि मायावती के कार्यकाल में भ्रष्टाचार सबसे अधिक था। अखिलेश यादव में सबसे अधिक भ्रष्टाचार रहा, यह मानने वालों का प्रतिशत भी 34 प्रतिशत है। जबकि 18 प्रतिशत लोगों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में सबसे अधिक भ्रष्टाचार रहा है। 

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