UP Election 2022 : यूपी की चुनावी फिजा को कितनी महकाएगी समाजवादी परफ्यूम, जानें इसके पीछे का सियासी मकसद..

अखिलेश यादव ने कहा कि इस परफ्यूम की खुशबू का असर 2022 में दिखाई देगा। 2022 में यूपी में सपा की सरकार बनने वाली है। वहीं MLC पुष्पराज जैन ने कहा कि इस परफ्यूम से 2022 में नफरत खत्म हो जाएगी। इस परफ्यूम को तैयार करने में दो वैज्ञानिकों ने चार महीने का समय लिया है। इसके निर्माण में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 22 तरह के प्राकृतिक इत्र का प्रयोग किया है। इसका प्रयोग करेंगे तो समाजवादी सुगंध महसूस होगी।

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2021 3:53 PM IST / Updated: Nov 09 2021, 09:38 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी दलों ने कमर कस ली है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (akhilesh yadav) ने मंगलवार को समाजवादी परफ्यूम लांच किया। अखिलेश यादव ने कहा कि इस परफ्यूम की खुशबू का असर 2022 में दिखाई देगा। 2022 में यूपी में सपा की सरकार बनने वाली है। वहीं इस मौके पर मौजूद सपा MLC पुष्पराज जैन ने कहा कि इस परफ्यूम से 2022 में नफरत खत्म हो जाएगी। पुष्पराज जैन ने बताया कि इस परफ्यूम को तैयार करने में दो वैज्ञानिकों ने चार महीने का समय लिया है। इसके निर्माण में कश्मीर से कन्याकुमारी (Kanyakumari) तक 22 तरह के प्राकृतिक इत्र का प्रयोग किया है। इसका प्रयोग करेंगे तो समाजवादी सुगंध महसूस होगी।

खजांचीनाथ के जन्मदिन पर परफ्यूम लॉन्च
ये परफ्यूम खजांचीनाथ नाम के बच्चे के जन्मदिन पर लॉन्च हुआ, जिसका जन्म नोटबंदी के दौरान बैंक में हुआ था। वह कानपुर देहात का रहने वाला है।
इस परफ्यूम को लॉन्च बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किया गया। हरे और लाल रंग के कॉम्बिनेशन से बनी परफ्यूम की डिब्बी में अखिलेश यादव का चेहरा और पार्टी चिह्न साइकिल छपा है। इसके पीछे कन्नौज MLC पुष्पराज का नंबर भी दिया गया है। इस परफ्यूम को लॉन्च करने के बाद अखिलेश यादव ने दावा किया कि नोटबंदी के कारण सैंकड़ों लोगों की जान गई। ऐसे में खजांची ही था जो बैंक में पैदा हुआ।

कुछ नया करने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अखिलेश यादव हर चुनाव में कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करते हैं जिससे ब्रांड अखिलेश अपनी पार्टी की चुनावी नैया पार करा सकें। 2022 का चुनाव सपा के लिए जीने-मरने का सवाल बन गई है लिहाजा अखिलेश यादव इस चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव में कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से चुनाव जीतने की कई बारीकियां सीखी थीं जिसका इस्तेमाल वे इस चुनाव में भी कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया पर फोकस
समाजवादी पार्टी हर वर्ग को साधने में लगी है। पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति पर भी विशेष फोक है। इसके साथ ही अखिलेश यादव सोशल मीडिया पर भी  पूरा फोकस कर रहे हैं। इसके जरिए पार्टी युवाओं तक अपना संदेश पहुंचाने की कवायद कर रही है। पार्टी युवाओं के साथ स्थानीय समस्याओं से जुड़ने का भी प्रयास कर रही है।  '22 में बाईसाइकल' के नारे से जोड़ते हुए सभी विधानसभा क्षेत्र में स्पेशल- 22 की एक टीम बनाई है, जिसमें ज्यादातर युवा हैं। जो घर-घर जाकर पार्टी की नीतियों और अखिलेश यादव के कार्यकाल के कार्यों के बारे में लोगों को बता रहे हैं। 

विजन के साथ मिशन पर फोकस
विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी वकीलों के साथ डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार, रिटायर्ड अधिकारी और शिक्षक को भी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में है। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से टिकट के लिए आवेदन करने वालों की सूची तैयार की जा रही है। इसके लिए प्रोफेशनल एजेंसी की मदद ली जा रही है। विभिन्न सीटों पर सपा के संभावित प्रत्याशियों की स्थिति का आंकलन भी कराया जा रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि सपा के घोषणा पत्र का फोकस किसानों, रोजगार निर्माण के साथ-साथ महिलाओं, स्वास्थ्य और शिक्षा पर होगा। बताया जा रहा है कि छात्रों को लुभाने के लिए सपा के पुराने शासन की तरह उन्हें केवल लैपटॉप ही नहीं, बल्कि मुफ्त डेटा और स्मार्टफोन की उम्मीद भी दिए जाने का वादा किया जा सकता है। 

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