सार
अखिलेश यादव तीन नवंबर को इटावा की सैफई तहसील के गीजा गांव में डेंगू से जान गंवाने वाले एक पीड़ित परिवार के घर गए थे। इस दौरान अखिलेश जिस सोफे पर बैठे थे, उसी की तस्वीर पर अब सियासत शुरू हो गई है।
इटावा (यूपी) : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) नजदीक है तो सियासत भी खूब हो रही है। चुनावी तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप जमकर हो रहे हैं। ताजा मामला सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (akhilesh yadav) की एक तस्वीर से जुड़ा है, जिसमें वह सोफे पर बैठे नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव की इस तस्वीर को लेकर बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (congress) दोनों ने ही तंज कसा है। आइए आपको बताते हैं सोफे की सियासत का क्या है पूरा मामला...
इटावा की है तस्वीर
दरअसल, अखिलेश यादव तीन नवंबर को इटावा (Etawah) की सैफई (Saifai) तहसील के गीजा गांव में डेंगू से जान गंवाने वाले एक पीड़ित परिवार के घर गए थे। इस दौरान अखिलेश जिस सोफे पर बैठे थे, उसी की तस्वीर पर अब सियासत शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि गांव के मुकेश बाथम के पांच बेटे हैं। चौथे नंबर के बेटे की शादी 3 महीने पहले हुई थी, उसका 20 तारीख को डेंगू से निधन हो गया, जिसकी जानकारी मिलने पर अखिलेश यादव उसके घर पहुंचे थे। इस दौरान अखिलेश यादव ने पीड़ितों से मुलाकात की तस्वीरें ट्वीट कीं और राज्य सरकार पर निशाना साधा, जिसके बाद उन पर जमकर पलटवार किया गया।
कांग्रेस का तंज
अखिलेश जिस तस्वीर में सोफे पर बैठकर पीड़ितों से बात कर रहे हैं और उन्हें कुछ मदद सौंपते दिख रहे हैं। यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने अखिलेश यादव की इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए सवाल पूछा है कि जिस घर की दीवारों पर प्लास्टर भी नहीं है, वहां नेता जी के लिए आरामदायक सोफा कहां से आया?
बीजेपी ने ली चुटकी
यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने भी अखिलेश यादव की इस तस्वीर को शेयर कर चुटकी ली है। उन्होंने अखिलेश यादव की तस्वीर को ट्वीट कर लिखा है कि समाजवाद की बात करने वाले यूपी के शहजादे जहां जाते है, अपना सोफा साथ लेकर जाते है।
कहां से आया सोफा?
पीड़ित मुकेश बाथम का कहना है कि उनके दो बेटों की शादी पिछले 4 महीने के अंदर हुई थी, जिसमें एक बेटा की डेंगू से मृत्यु हो गई है, जिस कारण से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव उनके घर हाल-चाल लेने के लिए आए थे और जिस सोफे पर बैठे थे, वह सफेद रंग का सोफा उसी मृतक बेटे की शादी में 3 महीने पहले उपहार स्वरूप मिला था। जबकि ब्राउन कलर का सोफा दूसरे बेटे की शादी में उपहार में मिला था।
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