सुप्रीम कोर्ट पहुंची यूपी सरकार, डॉ कफील खान के रिहाई के खिलााफ दायर की याचिका

साल 1980 में पेश किया गया एनएसए सरकार को किसी को भी हिरासत में लेने का अधिकार देता है। अदालत में पेश किए बिना, वो भी एक वर्ष तक अगर उन्हें संदेह है कि वे सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं। वह शख्स भारत की सुरक्षा को खतरा या विदेशों के साथ उसके संबंध हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 13, 2020 4:25 AM IST / Updated: Dec 13 2020, 10:52 AM IST

लखनऊ (Uttar Pradeshh) । डॉ. कफील खान को छोड़ने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बता दें कि यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की है, जिसमें नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक कथित भाषण के लिए एनएसए के तहत डॉक्टर कफीर को रिहा किया गया था। कहा गया है कि डॉक्टर कफील खान की हिरासत "गैरकानूनी" थी, उच्च न्यायालय ने 1 सितंबर को अपने आदेश में कहा था, आदेश में आगे कहा गया था कि डॉक्टर के भाषण ने नफरत या हिंसा को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं दिखाई देता है।

याचिका में ये लगाया गया है आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिका में यूपी सरकार ने आरोप लगाया कि डॉ खान का अपराध करने का इतिहास रहा है, जिसके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई, सेवा से निलंबन, पुलिस मामलों का पंजीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत आरोप लगाए गए।

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क्या कहता है एक्ट
साल 1980 में पेश किया गया एनएसए सरकार को किसी को भी हिरासत में लेने का अधिकार देता है। अदालत में पेश किए बिना, वो भी एक वर्ष तक अगर उन्हें संदेह है कि वे सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकते हैं। वह शख्स भारत की सुरक्षा को खतरा या विदेशों के साथ उसके संबंध हैं।
 

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