1990 में मारे गए 'कार सेवकों' के लिए यूपी सरकार की बड़ी प्लानिंग, चुनाव से पहले डिप्टी सीएम ने की घोषणा

1990 में जब मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम थे, तब उन्होंने बीजेपी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी और हजारों राम भक्तों और 'कार सेवकों' को कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए अयोध्या के विवादित स्थल में प्रवेश करने से रोक दिया था।

लखनऊ. उत्तरप्रदेश सरकार ने अभी तक अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में कई जगहों का नाम बदलना है। नाम बदलने के बाद अब सरकार 'कार सेवकों' के नाम पर सड़कों का निर्माण करने की योजना बना रही है। अयोध्या में एक कार्यक्रम में, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक सभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी ने अक्टूबर 1990 में 'भक्तों' पर गोलियां चलाईं। उन्होंने कहा था कि कार सेवकों के बलिदान को पहचानते हुए वर्तमान सरकार उन कार सेवकों का सम्मान करना चाहती है।

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केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि "कार सेवक 1990 में अयोध्या आए थे और राम लला के दर्शन चाहते थे। तत्कालीन सपा सरकार ने निहत्थे भगवान राम भक्तों पर गोलियां चलाई थीं। जिसमें कई कार सेवक मारे गए थे। आज, मैं घोषणा करता हूं कि यूपी में ऐशे सभी कारसेवकों के नाम से सड़कों का निर्माण किया जाएगा। 

मौर्य का बयान ऐसे समय में आया है जब भाजपा अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए सत्ता में कई तरह के बदलाव करना चाहती थी। हालांकि बाद में कहा गया कि यूपी में बीजेपी योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी।

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मुलायम सिंह यादव थे सीएम
1990 में जब मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम थे, तब उन्होंने बीजेपी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी और हजारों राम भक्तों और 'कार सेवकों' को कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए अयोध्या के विवादित स्थल में प्रवेश करने से रोक दिया था। लेकिन कारसेवकों ने बैरिकेड्स तोड़ दिया था और अंदर घुस गए थे। जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई के आदेश दिए गए थे। पुलिस ने फायरिंग का आदेश दिया जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई थी। जिससे दो दर्जन से अधिक भक्तों की मौत हो गई। अकेले गोलीबारी में 17 लोगों को आधिकारिक तौर पर मृत घोषित किया गया था।  

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