उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी (Jhansi) में 19 नवंबर को महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती (Maharani Laxmibai birth anniversary) है। बुधवार से इस कार्यक्रम को ‘झांसी जलसा’ (Jhansi Jalsa) के रूप में मनाया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने इस तीन दिवसीय राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व (Rashtra Raksha Samarpan Parv) और सेना की शस्त्र प्रदर्शनी (Arms Exhibition) का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेना में महिलाओं के लिए सभी बंद दरवाजे खोले जा रहे हैं। ये सब मोदी सरकार में ही संभव हो सका है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झांसी (Jhansi) में महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती (Maharani Laxmibai birth anniversary) पर ‘झांसी जलसा’(Jhansi Jalsa) कार्यक्रम बुधवार से शुरू हो गया है। इस तीन दिवसीय राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व और सेना की शस्त्र प्रदर्शनी की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने की। ये कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के अंतर्गत मनाया जा रहा है। इस अवसर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी मौजूद रहे। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दतिया में पीतांबरा माता के दर्शन करने पहुंचे। वे करीब 28 मिनट तक मंदिर में रहे और राष्ट्र रक्षा के लिए 10 मिनट तक स्वस्तिवाचन के साथ मां पीतांबरा की पूजा-अर्चना की। बता दें कि रानी लक्ष्मीबाई की जयंती के दिन 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) झांसी आएंगे।
‘झांसी जलसा’ कार्यक्रम में रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि सेना में महिलाओं के लिए सभी बंद दरवाजे खोले जा रहे हैं। हमारी सरकार ने सेना के तीनों अंगों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। सैनिक स्कूलों में बच्चों का को-एडमिशन भी दिया जा रहा है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद महिलाओं को राष्ट्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर नहीं मिला। लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से हमारी सेना में महिलाओं का योगदान बढ़ रहा है। पुणे में मौजूद देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले गए हैं।
सेना में महिलाओं को दिया स्थाई कमीशन
राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछली सरकारों में महिलाएं सेना में स्थायी कमीशन की मांग कर रही थीं। सेना में अब महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया है। अब योग्य और मेरिट के आधार पर महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिए जाने की व्यवस्था बनी है। महिला सशक्तिकरण का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है? उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था, जब देश 65 से 70 फीसदी रक्षा सामग्री आयात होती थी। आज तस्वीर बदल गई है। हमने तय किया है कि चाहे स्थिति कैसी भी हो, 64 फीसदी तक दुनिया के दूसरे देशों से आयात नहीं करेंगे। भारत की धरती पर बने रक्षा सामग्रियों का इस्तेमाल होगा।
पुलिसबल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा
राजनाथ ने कहा कि जब मैं गृह मंत्री था, मैंने सभी राज्यों को एक एडवाइजरी जारी की थी कि पुलिस अधिकारियों में भी कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास करना चाहिए। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि कई राज्यों में पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है।
राष्ट्ररक्षा हम सबका मूल धर्म है: राजनाथ
राजनाथ ने कहा कि यह पर्व जहां हमें देश की गौरव गाथा से जोड़ता है। देश की स्वाधीनता के लिए हुए संग्रामों से जोड़ता है। वहीं भारत की आजादी के अमृत महोत्सव से भी जुड़ा हुआ है। राष्ट्ररक्षा समर्पण पर्व का आयोजन करने में उत्तर प्रदेश सरकार का जितना सहयोग प्राप्त हुआ है। उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। झांसी की इस वीर भूमि पर आयोजित यह राष्ट्ररक्षा समर्पण पर्व देश की रक्षा के प्रति हमारे संकल्प और समर्पण के साथ-साथ भारतवासियों के शौर्य, पराक्रम, त्याग और बलिदान की अद्भुत परंपरा का उत्सव है। राष्ट्ररक्षा हम सबका मूल धर्म है। राष्ट्रधर्म ही हमारा धर्म है। इस धर्म का पालन करके ही हम न केवल वर्तमान को बल्कि आने वाले भविष्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
झांसी की वीरांगनाओं की धरती के रूप में पहचान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि झांसी की जब चर्चा होती है तो भारत के शौर्य, पराक्रम, वीर और वीरांगनाओं की धरती की रूप में पहचान होती है। राष्ट्र रक्षा हम सबका मूल धर्म है। राष्ट्र धर्म ही हमारा धर्म है। इस धर्म का पालन करके ही हम ना सिर्फ वर्तमान को बल्कि आने वाले भविष्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं। रानी लक्ष्मीबाई का अमृत वाक्य ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’ सभी भारतीयों के मन को मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव पैदा करता है। झांसी की इस वीर भूमि पर आयोजित यह राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व देश की रक्षा के प्रति हमारे संकल्प और समर्पण के साथ-साथ भारतवासियों के शौर्य, पराक्रम, त्याग और बलिदान की अद्भुत परंपरा का उत्सव है।
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