एमएलसी चुनावः कानपुर-बुंदेलखंड में इन नेताओं को जिम्मेदारी सौंपकर बीजेपी ने झोंकी ताकत, सपा ने भी बनाई रणनीति

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में जीतने के बाद बीजेपी का मनोबल बढ़ा है। बीजेपी एमएलसी चुनावों को भी एक खास रणनीति के साथ लड़ने जा रही है। जिसकी रूपरेखा संगठन ने तैयार कर ली है। कानपुर-बुंदलेखंड में एमएलसी की चार सीटें हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 24, 2022 10:27 AM IST

सुमित शर्मा
कानपुर:
यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी का मनोबल बढ़ा है। बीजेपी एमएलसी चुनावों को भी एक खास रणनीति के साथ लड़ने जा रही है। जिसकी रूपरेखा संगठन ने तैयार कर ली है। कानपुर-बुंदलेखंड में एमएलसी की चार सीटें हैं। सबसे खास बात यह है कि कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत किला है। एमएलसी चुनावों में भी बीजेपी समाजवादी पार्टी के गढ़ में भी कमल खिलाने की तैयारी में है। बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष और विधायकों को खास जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं एसपी ने रणनीति बनाने में जुटी है।

कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ है। बीजेपी किसी भी हालत में कानपुर-बुंदेलखंड के किले पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं करना चाहती है। यूपी विधानसभा 2022 में कानपुर-बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में 41 सीटों पर कमल खिला है। बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड की 52 सीटों में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इतना ही नहीं बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 में कानपुर-बुंदेलखंड की 10 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस लिए कानपुर-बुंदेलखंड बीजेपी का सबसे मजबूत किला कहा जाता है।

2016 के एमएलसी चुनाव में चारों सीटों पर था एसपी का कब्जा
यूपी विधान परिषद चुनाव 2016 में कानपुर-बुंदेलखंड की चारों सीटों पर एसपी का कब्जा था। कानपुर-फतेहपुर सीट से एसपी के दिलीप सिंह उर्फ कल्लू यादव एमएलसी बने थे। इटावा-फर्रूखाबाद सीट से पुष्पजैन उर्फ पम्पी एमएलसी बने थे। बांदा-हमीरपुर से एसपी के रमेश मिश्रा एमएलसी बने थे। झांसी-जालौन-ललितपुर से एसपी की रमा निरंजन जीती थीं। लेकिन 2016 के बाद से यूपी का समीकरण बदल चुका है। जिसका फायदा बीजेपी उठाने की फिराक में है।

शपथ ग्रहण के बाद चुनावी अभियान
कानपुर-बुंदेलखंड में आने वाले 13 जिलों से 12 जिलों में बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष है। एसपी के गढ़ इटावा में ही सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष एसपी का है। कानपुर-बुंदेलखंड की चारो सीटे जीतकर क्लीन स्वीप करने के लिए बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष और विधायकों को बड़ी सौंपी है। सभी जिलों के जिलों के विधायकों को एक्टिव मोड में रहने की सलाह दी गई है। प्रदेश सरकार के सपथ ग्रहण के बाद विधायकों को एमएलसी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कहा गया है।

बीजेपी की रणनीति
कानपुर-बुंदेखंड के सभी जिलों के जिला पंचायत अध्यक्षों से संगठन ने कहा कि जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी और ग्राम प्रधानों से पार्टी पक्ष में वोट करने के लिए प्रचार-प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है। जिसका आकड़ा पार्टी संगठन के पास पहुंच चुका है। वहीं नगर पालिका के चेयरमैन और पार्षदों को भी पार्टी से जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही शहरी इलाकों के पार्षदों को भी बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष वोट करने का माहौल बनाया जा रहा है।

एसपी इस सीट पर देगी कड़ी टक्कर
इटावा-फर्रूखाबाद एमसलसी सीट पर समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। इस सीट पर एसपी के हरीश कुमार यादव और बीजेपी के प्रांशूदत्त द्धिवेदी की बीच फाइट है। एसपी के सामने अपना गढ़ बचाने की जिम्मेदारी है। एसपी इटावा में तो मजबूत स्थिति में हैं। लेकिन फर्रूखाबाद में उसकी पकड़ कमजोर है। इटावा में एसपी के जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव हैं। वहीं फर्रूखाबाद से बीजेपी समर्थित मोनिका यादव हैं। इस लिए इटावा-फर्रूखाबाद सीट पर एसपी बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। एसपी ने खुद को इटावा में काफी मजबूत कर लिया है। 

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