लखनऊ में पिटबुल मालकिन हत्याकांड के बाद लोगों में दिख रहा डर, भागकर पहुंच रहे हैं नगर निगम

Published : Jul 17, 2022, 12:06 PM IST
लखनऊ में पिटबुल मालकिन हत्याकांड के बाद लोगों में दिख रहा डर, भागकर पहुंच रहे हैं नगर निगम

सार

बीते कुछ दिनों में नए रजिस्ट्रेशन होने के बाद से नगर निगम में पंजीकृत कुत्तों की संख्या 5000 से ज्यादा हो गई है। लोगों को यह डर सताने लगा है कि उनका कुत्ता अगर किसी को काट लेता है तो उनको 5000 रुपए का जुर्माना देने के बाद जेल भी जाना पड़ सकता है।

लखनऊ: बीते कुछ दिन पहले लखनऊ में एक पालतू पिटबुल कुत्ते ने अपनी मालकिन की जान ले ली थी। इसके बाद से लोगों को कुत्ते पालने को लेकर डर सताने लगा है। घटना के बाद से  नगर निगम में कुत्तों का रजिट्रेशन बढ़ गया है। पिछले तीन दिन में 200 से ज्यादा लोगों ने अब तक अपने कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करा लिया है। नगर निगम के नियमों के अनुसार अगर किसी पालतू जानवर कुत्ता या बिल्ली का रजिस्ट्रेशन नहीं है और वह किसी को काटता है तो इसके लिए मालिक जिम्मेदार है। उसके खिलाफ मुकदमा हो सकता है। उसके अलावा नगर निगम को 5000 रुपए का जुर्माना अलग दे देना पड़ेगा। इसी डर की वजह लोगों का रजिस्ट्रेशन बढ़ गया है।

5000 रुपए के जुर्माने का लोगों को सता रहा डर
बीते कुछ दिनों में नए रजिस्ट्रेशन होने के बाद से नगर निगम में पंजीकृत कुत्तों की संख्या 5000 से ज्यादा हो गई है। लोगों को यह डर सताने लगा है कि उनका कुत्ता अगर किसी को काट लेता है तो उनको 5000 रुपए का जुर्माना देने के बाद जेल भी जाना पड़ सकता है।

हर साल बेचे जाते हैं करीब 2000 हजार कुत्ते
शहर में कुत्ते बेचने का व्यापार करने वाले एक युवक ने बताया कि हर साल करीब 2000 हजार कुत्तों बेचने का काम लखनऊ में होता है। यह काम कागजों पर नहीं होता है। लेकिन नगर निगम में कभी भी रजिस्ट्रेशन 5000 से ज्यादा आज तक नहीं गया है। वहीं सर्वे के मुताबिक शहर में कम से कम 30 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनके यहां कोई न कोई नस्ल का कुत्ता मौजूद है। लेकिन वह लोग रजिस्ट्रेशन नहीं कराते है। कुत्ता पालने का बिजनेस पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। कई लोग कुत्ता पालने की आड़ में ब्रीडिंग सेंटर चला रहे हैं। ये पूरा बिजनेस कागजों में नहीं होता है। ऐसे में सरकारी राजस्व को भी नुकसान होता है।

नगर निगम के खाते में आए 17 लाख रुपए
मौजूदा समय कुत्तों के साइज के हिसाब से लाइसेंस शुल्क है। इसमें 200, 300 और 500 रुपए का चार्ज होता है। नगर निगम के खाते में अभी तक लाइसेंस शुक्ल से करीब 17 लाख रुपया आ चुका है। इसको आने वाले सदन में बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया जा सकता है।

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