हिंदू रीति-रिवाज से हुई कुत्ता और कुतिया की शादी, 500 लोगों की हुई दावत

मनासर बाबा शिव मंदिर सौंखर के महंत द्वारिका दास और बजरंगबली मंदिर परछछ के महंत अर्जुन दास ने अपने पालतू कुत्ते कल्लू और कुतिया भूरी की शादी कराकर खुद को एक-दूसरे का समधी बताया। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार रस्में निभाई गईं। बाकायदा बरात की निकासी, द्वारचार, भांवरे, कलेवा और विदाई भी हुई।

Asianet News Hindi | Published : Jun 6, 2022 5:27 AM IST

हमीरपुर: रविवार को हुई एक शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। कल्लू और भूरी की शादी की अनोखी शादी के बारे में जिसने भी सुना वो हैरान हो रहा है। दरअसल पूरे रीति-रिवाज के  कुत्ते और कुत्तिया की शादी कराई गई है। 

हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार निभाई गईं रस्में
मनासर बाबा शिव मंदिर सौंखर के महंत द्वारिका दास और बजरंगबली मंदिर परछछ के महंत अर्जुन दास ने अपने पालतू कुत्ते कल्लू और कुतिया भूरी की शादी कराकर खुद को एक-दूसरे का समधी बताया। हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार रस्में निभाई गईं। बाकायदा बरात की निकासी, द्वारचार, भांवरे, कलेवा और विदाई भी हुई।

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सौंखर एवं सिमनौड़ी गांव के बीहड़ में मनासर बाबा शिव मंदिर है। यहां के महंत स्वामी द्वारिका दास महाराज हैं। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते कल्लू का विवाह मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव के बजरंगबली मंदिर के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज की पालतू कुतिया भूरी के संग तय की थी। 

शादी के लिए छपवाए गए कार्ड
शादी शुभ मुहूर्त पर रविवार को हुई। दोनों महंतों ने अपने शिष्यों, शुभचिंतकों को कार्ड भेजकर विवाह समारोह में बुलाया। बरात मनासर बाबा शिव मंदिर से गाजे-बाजे के साथ निकली। सौंखर गांव की गलियों में भ्रमण करके धूमधाम से निकासी कराई गई। इसके बाद मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव में बजरंगबली मंदिर के महंत ने बरात की अगवानी की। 

बारात में 500 लोग हुए शामिल
द्वारचार, चढ़ावा, भांवरों, कलेवा की रस्म पूरी कराकर बरात को ससम्मान विदा किया। दोनों को चांदी के जेवरात भी पहनाए गए। बरातियों के लिए कई तरह के व्यंजन तैयार कराए गए। बरात में दोनों पक्षों से तकरीबन 500 लोग शामिल हुए। महंत द्वारिका दास ने बताया, बचपन से पाला है तो अब कुत्ता हमारे परिवार का सदस्य है। समाज को एक संदेश है कि सभी जीवों का महत्व है, जिनसे हमारे आत्मीय संबंध बन जाते हैं। वहीं, महंत अर्जुन दास ने कहा कि द्वारिका दास से उनकी काफी पुरानी मित्रता है। अब मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने के लिए हमारा परिवार तो है नहीं। बस इन्हीं जीवों को बचपन से पाला। दोनों जीवों का विवाह करा मित्रता को रिश्ते में बदलकर समधी बन गए हैं।

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