इस मिशन की ओर से प्रदेश में इस समय 1216 प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाएं जुड़ी हैं। विभिन्न जिलों से आई रिपोर्ट के अनुसार 750 संस्थाओं ने निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 40 प्रतिशत से कम युवाओं को प्रशिक्षण दिया है। मिशन ने इन सभी को लक्ष्य देना बंद कर दिया है। मिशन निदेशक आन्द्रा वामसी ने कहा कि अब 20 फीसदी लक्ष्य से कम वाली संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ: बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट कौशल विकास मिशन के प्रशिक्षण में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अलग-अलग जिलों में प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं (ट्रेनिंग पार्टनर्स) ने युवाओं/बेरोजगारों को प्रशिक्षित करने में रुचि ही नहीं दिखाई। इस मिशन की ओर से प्रदेश में इस समय 1216 प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाएं जुड़ी हैं। विभिन्न जिलों से आई रिपोर्ट के अनुसार 750 संस्थाओं ने निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 40 प्रतिशत से कम युवाओं को प्रशिक्षण दिया है। मिशन ने इन सभी को लक्ष्य देना बंद कर दिया है। मिशन निदेशक आन्द्रा वामसी ने कहा कि अब 20 फीसदी लक्ष्य से कम वाली संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जाएगी।
इस मिशन की ओर से प्रदेश में इस समय 1216 प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाएं जुड़ी हैं। विभिन्न जिलों से आई रिपोर्ट के अनुसार 750 संस्थाओं ने निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 40 प्रतिशत से कम युवाओं को प्रशिक्षण दिया है। मिशन ने इन सभी को लक्ष्य देना बंद कर दिया है। मिशन निदेशक आन्द्रा वामसी ने कहा कि अब 20 फीसदी लक्ष्य से कम वाली संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जाएगी। 70 संस्थाएं तो ऐसी रहीं जो बीते वित्तीय वर्ष में दिए गए लक्ष्य के मुताबिक 10 फीसदी युवाओं को भी पंजीकृत कर प्रशिक्षण नहीं दे सकीं। इन्हें ब्लैक लिस्ट कर उनकी बैंक गारंटी जब्त कर ली गई है। इनमें चार दर्जन संस्थाओं ने तो एक भी पंजीकरण नहीं किया। ऐसी सभी संस्थाओं को हटाया जाएगा।
आवंटित लक्ष्यों को नहीं किया गया पूरा
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं से अपेक्षा होती है कि वह आवंटित लक्ष्यों के सापेक्ष संदर्भित वित्तीय वर्ष में प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना व बैच निर्माण की कार्यवाही करेंगी। इसके बावजूद विभिन्न जिलों में हुई जांच के बाद जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि संबंधित जिलों में लक्ष्य के सापेक्ष या तो प्रशिक्षण सत्र ही संचालित नहीं किए या फिर कम संख्या में प्रशिक्षणार्थियों को पंजीकृत किया गया है। मिशन के पोर्टल पर प्रशिक्षण प्रदाताओं द्वारा की गई एंट्री से भी इसकी पुष्टि हो रही है। ऐसी उदासीनता गंभीर आपत्ति का विषय है।
जांच में ढिलाई बरतने की बात आई सामने
जिला कौशल विकास योजनाओं की सिफारिश पर प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं को मिशन से जोड़ा जाता है। इन संस्थाओं का मूल काम लक्ष्य के सापेक्ष युवाओं, बेरोजगारों का पंजीकरण करके उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण देना है। प्रशिक्षणार्थियों की संख्या व प्रशिक्षण के आधार पर हर संस्था को हुए खर्च का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। जांच में प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं द्वारा दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना में भी ढिलाई बरतने की बात सामने आ रही है। इस योजना में 216 संस्थाएं ट्रेनिंग पार्टनर हैं। इन पर भी कार्रवाई की जाएगी।