सपा को मिली हार के बाद गठबंधन की खुलने लगी गांठें, केशव देव मौर्य के बदले सुर

Published : Mar 15, 2022, 01:48 PM IST
सपा को मिली हार के बाद गठबंधन की खुलने लगी गांठें, केशव देव मौर्य  के बदले सुर

सार

केश देव मौर्य ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की है कि चुनाव में उनका इस्तेमाल नहीं किया गया और गठबंधन के दूसरे दलों की तुलना में बहुत कम सीटें दी गईं। केशव देव मौर्य ने कहा कि उन्हें गठबंधन में सम्मान नहीं दिया गया और महज 2 सीटें दी गईं, जबकि रालोद, अपना दल (कमेरावादी) को अधिक सीटें दी गईं।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की करारी हार के बाद अब गठबंधन की गांठें खुलने लगी हैं। महानदल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने साफ कह दिया है कि यदि गठबंधन में उन्हें अहमियत नहीं मिला तो किसी और दल के साथ जाने पर भी विचार करेंगे। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर भी बड़ा बयान दिया है और कहा है कि उन्हें भाजपा ने ही साजिश के तहत सपा में भेजा है। 

केश देव मौर्य ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की है कि चुनाव में उनका इस्तेमाल नहीं किया गया और गठबंधन के दूसरे दलों की तुलना में बहुत कम सीटें दी गईं। केशव देव मौर्य ने कहा कि उन्हें गठबंधन में सम्मान नहीं दिया गया और महज 2 सीटें दी गईं, जबकि रालोद, अपना दल (कमेरावादी) को अधिक सीटें दी गईं। मौर्य ने कहा कि यदि उन्हें आगे तव्वजो नहीं दी गई तो वह किसी और के साथ जाने पर भी विचार करेंगे। 

केशव देव मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर भी बड़ा बयान दिया है और कहा कि भाजपा ने एक योजना के तहत उन्हें सपा में भेजा था। इससे पहले भी केशव ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर इशारों में निशाना साधा और कहा कि जिन नेताओं के पास अपनी सीट बचाने लायक भी जनाधार नहीं था वह बड़े-बड़े दावे कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन के कुछ नेता खुद तो अति-आत्मविश्वास में थे ही, अखिलेश यादव को भी अति आत्मविश्वास में रखा।

सपा की हार के बाद से ही पार्टी नेताओं और गठबंधन के साथियों ने बयानबाजी शुरू कर दी है। इसको देखते हुए पार्टी ने सोमवार शाम पार्टी नेताओं को सलाह दी कि मीडिया में कोई बयानबाजी ना करें और संगठन को लेकर किसी भी तरह का सुझाव पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही ईमेल करें। चुनाव परिणाम के बाद अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने भी कहा है कि चुनाव में हार का मतलब है कि संगठन में कहीं ना कहीं खामी रह गई।

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