Inside Story: अखिलेश के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा के बाद आजमगढ़ में सियासी पारा गरम

 पार्टी सूत्रों के अनुसार अखिलेश यादव जिले के गोपालपुर से चुनाव लड़ेंगे। इस लिहाज से पार्टी स्‍तर पर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। बस आधिकारिक घोषणा होने के बाद अखिलेश के समर्थकों के लिए आजमगढ़ एक बार फ‍िर से पूर्वांचल में सपा का बड़ा केंद्र विधानसभा चुनाव में हो जाएगा।

आजमगढ़: बतौर सांसद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की जिले में सियासी पारी काफी चर्चा में रही है। अब वह विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर चुके हैं। ऐसे में आजमगढ़ जिला एक बार दोबारा सियासी हलकों में चर्चा के केंद्र में आ चुका है। पार्टी सूत्रों के अनुसार अखिलेश यादव जिले के गोपालपुर से चुनाव लड़ेंगे। इस लिहाज से पार्टी स्‍तर पर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। बस आधिकारिक घोषणा होने के बाद अखिलेश के समर्थकों के लिए आजमगढ़ एक बार फ‍िर से पूर्वांचल में सपा का बड़ा केंद्र विधानसभा चुनाव में हो जाएगा। आजमगढ़ वैसे तो सपा का गढ़ रहा है लेकिन गोपालपुर विधानसभा सीट कहीं अधिक सपा के लिए फायदेमंद रह चुका है।  

वैसे तो लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ में सभी विधानसभा क्षेत्रों में सपा को बढ़त मिली, लेकिन सबसे ज्यादा मत मुबारकपुर में सपा को प्राप्‍त हुए थे। अब गोपालपुर को अखिलेश यादव क्यों चुनने जा रहे, यह तो वही जानें लेकिन गोपालपुर सीट चुनने के पीछे कयास यही लगाया जा रहा है कि जिले के उत्तरी हिस्से से चुनाव मैदान में रहकर वह पूरे जिले की विधानसभा को साधेंगे। दूसरी बात यह कि इस सीट से कई दावेदारों का नाम लिया जा रहा है। ऐसे में अगर अखिलेश खुद चुनाव लड़ते हैं तो टिकट को लेकर विवाद भी खत्म हो जाएगा। वहीं पूर्वांचल से खुद अखिलेश के मैदान में होने से पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्‍साह भी बना रहेगा।

Latest Videos

क्या कहते हैं पिछले आंकडे
344 क्रमांक के गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में 335970 हैं, जिसमें 29 फीसद पिछड़े मतदाता होने से सपा का कब्जा रहता है। हालांकि, अनुसूचित 24 तो सवर्ण 28 फीसद हैं, लेकिन 14 फीसद मुस्लिमों की भूमिका विधायक बनाने में निर्णायक होती है। वर्ष 1993 में सपा-बसपा गठबंधन के बाद से यह सीट इन्हीं पार्टियों के खाते में रही है। गठबंधन में बसपा के इरशाद विधायक बने तो उसके बाद वर्ष 1996 से अब तक 2017 तक हुए चुनाव में एक बार श्यामनारायण यादव बसपा से वर्ष 2007 में चुनाव जीते थे, जबकि शेष समय विधायकी सपा के ही हाथ में रही। वर्ष 2017 में पहली बार नफीस अहमद सपा के विधायक बने हैं।
पार्टी से संकेत का इंतजार : इस संबंध में सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने बताया कि उन्हें इस तरह का कोई संकेत पार्टी स्‍तर से अभी नहीं मिला है। बाकी जैसा ऊपर से आदेश मिलेगा उसके अनुसार जिले के संगठन और कार्यकर्ता काम करेंगे।

Share this article
click me!

Latest Videos

संभल हिंसा पर कांग्रेस ने योगी और मोदी सरकार पर साधा निशाना
'बसपा अब नहीं लड़ेगी कोई उपचुनाव'BSP Chief Mayawati ने खुद बताई बड़े ऐलान की वजह
कांग्रेस के कार्यक्रम में राहुल गांधी का माइक बंद ऑन हुआ तो बोले- मुझे बोलने से कोई नहीं रोक सकता
तेलंगाना सरकार ने क्यों ठुकराया अडानी का 100 करोड़ का दान? जानें वजह
Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य