मरीज के परिवारजनों ने सामाजिक कार्यकर्ता से इसकी शिकायत की। इस पर कार्यकर्ता ने ट्वीट के माध्यम से उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मामले की शिकायत की। फटकार के बाद अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित को 20 हजार रुपये वापस कर दिए।
लखनऊ: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी मिलते ही वो एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होनें तीमारदार से पैसा वसूलने पर निजी अस्पताल को फटकार लगाई इसके बाद अस्पताल प्रशासन को पैसा वापस करना पड़ा। सीतापुर रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल ने पथरी के ऑपरेशन के नाम पर 20 हजार रुपये जमा करा लिया और ऑपरेशन भी नहीं किया। इसके बाद जब पीड़ित ने अपना पैसा मांगा तो अस्पताल के कर्मी धमकी देने लगे।
ट्वीट के जरिए की शिकायत
मड़ियांव स्थित निजी अस्पताल में इलाज के नाम पर अधिक रुपये वसूलने का मामला सामने आया है। मंगलवार को मरीज के परिवारजनों ने सामाजिक कार्यकर्ता से इसकी शिकायत की। इस पर कार्यकर्ता ने ट्वीट के माध्यम से उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मामले की शिकायत की। फटकार के बाद अस्पताल प्रशासन ने पीड़ित को 20 हजार रुपये वापस कर दिए।
केजीएमयू प्रशासन ने मरीज को नहीं किया भर्ती
पिछले दो माह से गोंडा निवासी राम प्यारी पेट में दर्द की समस्या से जूझ रही है। स्थानीय अस्पताल में इलाज कराने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। परिवारजन 24 मार्च को मरीज को लेकर केजीएमयू ट्रामा सेंटर पहुंचे। यहां बेड खाली न होने की वजह से उन्हें भर्ती नहीं किया गया। दलालों के चंगुल में आने के बाद मरीज को मड़ियांव स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां जांच के बाद डाक्टर ने गुर्दे में पथरी होने की बात बताई।
पूरा पैसा ना देने पर डाक्टर ने इलाज रोका
आपरेशन में करीब 35 हजार रुपये खर्चा बताया। मरीज के भाई दिलीप ने बताया कि डाक्टर ने 35 हजार रुपये जमा करा लिए। उसके बाद डाक्टर ने जांच के बाद गुर्दे की नली में रुकावट की बात कही। जिसके आपरेशन के लिए 45 हजार रुपये और मांगे गए। रुपये के अभाव में परिजनों ने पैसे देने से मना कर दिया। बिना भुगतान करने पर डाक्टर ने इलाज करने से रोक दिया। बिल के भुगतान के लिए दबाव भी बनाया गया।
मरीज के घर वालों ने फैजुल्लागंज में सामाजिक कार्यकर्ता ममता त्रिपाठी को मामले की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से पूरे मामले की जानकारी उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को दी। ममता त्रिपाठी के मुताबिक, ट्वीट के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले का संज्ञान लिया। जहां अस्पताल प्रशासन ने मरीज को करीब 20 हजार रुपये वापस देने के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया।
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