Inside Story: चिल्लूपार सीट पर साल 1985 से रहा है ब्राह्मणों का कब्जा, क्या इस बार टूटेगा तिलिस्म?

चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का इतिहास खंगालने पर बाहुबली हरिशंकर तिवारी का नाम बार-बार, उभरकर सामने आता है। हरिशंकर तिवारी इस सीट से लगातार 22 वर्षों (1985 से 2007) तक विधायक रहे हैं। पहला चुनाव 1985 में निर्दलीय लड़ा था, फिर अलग-अलग राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं। तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते व यूपी सरकार में मंत्री भी बने थे। हरिशंकर तिवारी की वजह से ही आज वर्तमान में सभी पार्टियां ब्राह्मण कैंडिडेट को ही यहां से उतारना चाहती है। 

अनुराग पाण्डेय, गोरखपुर

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) जिले की चिल्लूपार विधान सभा सीट पर साल 1985 यानी 37 साल से ब्राह्मणों का कब्जा है। इस तिलिस्म को बहुत से लोग तोड़ना चाहे लेकिन उनकी एक ना चली। उत्तर प्रदेश की सियासत में अस्सी के दशक में गोरखपुर का एक ऐसा नाम था, जिसके इशारे पर सरकार बनती बिगड़ती थी। सरकार चाहे जिस भी पार्टी की हो हर गवर्नमेंट में गोरखपुर के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी का सिक्का जरूर चलता था। चिल्लूपार विधानसभा में हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) का घर भी था। यहां से उनके विधायक बनने के बाद ब्राह्मणों का इस सीट से कब्जा आज तक कोई नहीं हटा पाया है। भले ही विधानसभा चुनाव में खुद पं. हरिशंकर तिवारी हार गए हों लेकिन जीतने वाला कैंडिडेट ब्राह्मण ही रहा है। 

Latest Videos

चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का इतिहास खंगालने पर बाहुबली हरिशंकर तिवारी का नाम बार-बार, उभरकर सामने आता है। हरिशंकर तिवारी इस सीट से लगातार 22 वर्षों (1985 से 2007) तक विधायक रहे हैं। पहला चुनाव 1985 में निर्दलीय लड़ा था, फिर अलग-अलग राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं। तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते व यूपी सरकार में मंत्री भी बने थे। हरिशंकर तिवारी की वजह से ही आज वर्तमान में सभी पार्टियां ब्राह्मण कैंडिडेट को ही यहां से उतारना चाहती है। 

जेल से चुनाव जीतकर बनाया था रेकॉर्ड
हरिशंकर तिवारी के नाम एक रेकॉर्ड भी है। भारत के राजनीतिक इतिहास में हरिशंकर तिवारी पहले बाहुबली हैं, जिन्‍होंने पहली बार जेल में रहते हुए चुनाव जीता था। यह वही समय था जब हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही का पूरे पूर्वांचल में बोलबाला था। एक ने खुद को ब्राह्मणों का स्‍वयंभू नेता घोषित कर रखा था, दूसरे ने ठाकुरों का, दोनों की अदावत भी चर्चा का विषय बनती थी। 

चिल्लूपार सीट पर फिर होगा ब्राह्मण का कब्जा
चिल्लूपार विधानसभा में 4.31 लाख वोटर हैं, जिनमे ब्राह्मण वोटरों का वर्चस्‍व है. ब्राह्मण वोटरों की संख्‍या लगभग 1.05 लाख है। दलित और निषाद वोटर भी निर्णायक स्‍थिति में हैं। ब्राह्मणों के समीकरण को देखते हुए बसपा मुखिया ने चिल्लूपार से डॉ. विजयानंद तिवारी को प्रभारी प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा ने बाहुबली पं. हरिशंकर तिवारी के बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी को टिकट देकर पूर्वांचल में ब्राह्मण समीकरण सेट किैया है। जबकि साल 2017 में भाजपा से लड़ते हुए हार का सामना करने वाले राजेश त्रिपाठी पर पार्टी ने एक बार फिर दांव लगाया है। मतलब तीनों ही पार्टियों ने ब्राह्मण कैंडिडेट को टिकट दिया है। यहां पर चुनाव में इनके बीच ही सीट के लिए लड़ाई होगी। इससे ये तो तय हो गया है कि एक बार फिर इस सीट पर किसी ब्राह्मण का ही कब्जा होगा। 

चिल्लूपार सीट पर तीन बार से बसपा का कब्जा
पिछले तीन विधान सभा चुनाव पर अगर गौर किया जाए तो बसपा से प्रत्याशी जरूर बदले लेकिन सीट हर बार मायावती की झोली में ही आई। यहां लगातार दो चुनाव साल 2007 और 2012 में बसपा से लड़ते हुए राजेश​ तिवारी विधायक बने। इसके बाद इस सीट पर साल 2017 चुनाव में बाहुबली के बेटे विनय शंकर तिवारी को बसपा ने अपना कैंडिडेट बनाया। इस बार भी बसपा को जीत मिली। भाजपा से लड़ते दो बार के विधायक राजेश त्रिपाठी इस बार दूसरे नंबर पर रहे। 

साल 1985 से अब तक ब्राह्मण बने विधायक

1985: निर्दलीय हरिशंकर तिवारी
1989: कांग्रेस से हरिशंकर तिवारी
1991: कांग्रेस से हरिशंकर तिवारी
1993: कांग्रेस से हरिशंकर तिवारी
1996: एआईआईसी (टी) से हरिशंकर तिवारी
2002: एबीएलटीसी से हरिशंकर तिवारी
2007: बसपा से राजेश त्रिपाठी
2012: बसपा से राजेश त्रिपाठी
2017: बसपा से विनय शंकर तिवारी (अब सपा में चले गए)।

Share this article
click me!

Latest Videos

पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
SDM थप्पड़कांड के बाद 10 धाराओं में दर्ज हुआ केस, हवालात में ऐसे कटी नरेश मीणा की रात । Deoli-Uniara
पहली बार सामने आया SDM थप्पड़ कांड का सच, जानें उस दोपहर क्या हुआ था । Naresh Meena । Deoli-Uniara
UPPSC Student Protest: डिमांड्स पूरी होने के बाद भी क्यों जारी है छात्रों का आंदोलन, अब क्या है मांग
Dev Diwali 2024: देव दिवाली आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सबसे खास उपाय