इससे पहले स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी थी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा शीर्ष नेतृत्व इस बार ब्राह्मण नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने का सोंच रहा है। दरअसल पूर्व में ब्राह्मण की नाराजगी की कई बार बात सामने आई है। जिसके चलते ब्राह्मण चेहरे को बीजेपी सामने लाना चाह रही है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मंत्रालयों का बंटवारा कर दिया है। उन्होंने गृह और राजस्व समेत 34 विभागों को अपने पास रखा है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ग्राम विकास एवं समग्र विकास तथा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का मंत्री बनाया गया है।
यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान किसको मिलती है सबकी निगाहें इस ओर लगी हुई हैं। इससे पहले स्वतंत्र देव सिंह के हाथों में इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी थी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा शीर्ष नेतृत्व इस बार ब्राह्मण नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने का सोंच रहा है। दरअसल पूर्व में ब्राह्मण की नाराजगी की कई बार बात सामने आई है। जिसके चलते ब्राह्मण चेहरे को बीजेपी सामने लाना चाह रही है।
ब्राह्मण चेहरों को मिली अहम जिम्मेदारी
योगी 2.0 मंत्रिमडल में ब्राह्मण चेहरों को प्रथमिकता देने के साथ-साथ अहम जिम्मेदारी दी गई है। ब्रजेश पाठर को डिप्टी सीएम बनाया गया, तो एक साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी जैसा बड़ा विभाग दिया गया है। और अब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी ब्राह्मण चेहरे को तलाश रही है।
ब्राह्मण बिरादरी को साधने में जुटी बीजेपी
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण बिरादरी की कुल आबादी 10 फीसदी से अधिक है। ऐसे में उसे साधना किसी भी पार्टी के लिए अहम माना जाता है। इस विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण समुदाय के 89 फीसदी वोट भाजपा को मिले थे। ऐसे में पार्टी इस समर्थन का बदला प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ चुकाना चाहती है।
श्रीकांत शर्मा का नाम भी चर्चा में चल रहा
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर विचार चल रहा है और इस चर्चा का पूरा फोकस किसी ब्राह्मण नेता को ही कमान देने पर है। इस रेस में योगी के पहले कार्यकाल में डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे दिनेश शर्मा का भी नाम चल रहा है। इसके अलावा प्रदेश महामंत्री गोपाल नारायण शुक्ला और पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के नाम की भी चर्चा चल रही है।
दरअसल भाजपा की कोशिश यह भी है कि कैबिनेट में शामिल न किए गए कई सीनियर नेताओं को भी संगठन में ही शामिल कर लिया जाए। इससे उनकी नाराजगी से भी बचा सकेगा और सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। सीनियर लीडर गोपाल टंडन, सिद्धार्थ नाथ सिंह जैसे नेताओं को भी संगठन में शामिल करने पर विचार चल रहा है। ये दोनों नेता योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे, लेकिन इस बार इन्हें जगह नहीं मिल पाई है।
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