यूपी के मदरसा बोर्ड हाईटेक पढ़ाई को लेकर सरकार मंथन शुरू हो गया है। आरबी-फारसी के अलावा कई विषयों को लेकर चर्चा हो रही है। इस वजह से मंत्रियों ने बैठक की और दिसंबर के महीने में एक बार फिर बैठक होगी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा को बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है तो वहीं अब मदरसा बोर्ड में भी हाईटेक पढ़ाई को लेकर मंथन शुरू हो गया है। दरअसल मदरसो बोर्ड के चेयरमैन के नेतृत्व लखनऊ में एक बैठक हुई। जिसमें मुख्य रूप से अरबी, उर्दू, फारसी के अलावा अन्य कौन-कौन से विषय मदरसों में पढ़ाए जाएं, इसको लेकर सुझाव मांगा गया है। साल 2016 मदरसा बोर्ड के नियमों में संशोधन करने को लेकर यह बैठक हुई थी। इसके अलावा बीते दिनों राज्य सरकार ने प्रदेश भर में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराया। उसमें करीब 8491 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त पाए गए और उनकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है।
शिक्षा प्रणाली के लिए होगा संशोधन
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि मुसलमान के बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में लैपटॉप हो। इसी के अंतर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी मदरसा शिक्षा परिषद लगातार मदरसों के बच्चों की दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम को भी बढ़ावा दे रहे है। इसी कारणवश मदरसा विनियमावली 2016 में संशोधन की जरूरत है। उन्होंने आगे बताया कि दिसंबर महीने में भी दो बैठकें और होगी। फिर विनियमावली 2016 के संशोधन को लेकर फाइनल प्रस्ताव पास होगा और उसको शासन को भेजा जाएगा।
बैठक में इन छह बिंदुओं को जोड़ने और संशोधन के संबंध में हुई चर्चा
1. शैक्षणिक योग्यता बीएड के साथ गणित/बायलॉजी, एमएससी, इंटर तक उर्दू की अनिवार्यता की जाएगी।
2.बीएड के समकक्ष प्रशिक्षण कोर्स की व्यवस्था करना।
3. अनुकंपा के आधार पर मृतक आश्रित के पद पर नियुक्ति के लिए परिवेक्षण काल की शर्त को खत्म करना।
4. फौकानिया और आलिया में वैकल्पिक अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी।
5. कर्मचारियों और शिक्षक के परस्पर ट्रांसफर की व्यवस्था होगी। साथ ही प्रबंधक या प्रबंध समिति प्रधानाचार्य के सगे संबंधियों पर प्रतिबंध रहे।
6. अनुकंपा के आधार पर मृतक आश्रित के पद पर नियुक्ति के लिए परिवेक्षण काल की शर्त को खत्म करना।
7. शिक्षकों और कर्मचारियों के अवकाश के संबंध में स्पष्ट उल्लेख।